*आखिर किसकी लापरवाही से सिल्ट सफाई में हुआ था कारनामा*
*तीसरी आंख की न पड़ती नजर तो शासकीय धन का हो जाता बंदरबाट*
सुलतानपुर: जिले के सिचाई विभाग के अधिकारियों ने सोशल मीडिया से लेकर प्रिंट मीडिया पर खबर प्रसारित होने के बाद खुद का गला फसता देख बभंगवां रजबहा एवं रानीपुर अल्पिका की सिल्ट सफाई में हुई धांधली की खबर को अधिशाषी अभियंता ने विभागीय भाषा में जांच कराकर उक्त कार्य को श्रमदान घोषित करने को कहा था, अंततः जांच में कार्य का न होना पाया गया। सवाल ये है कि मीडिया द्वारा खबर चलाये जाने पर ही क्यों जांच की गई विभागीय जिम्मेदारों ने क्या इसके पहले कार्य सत्यापित करना क्यों उचित नहीं समझा? क्या सब मिलीभगत से ये कारनामा किया गया। अगर मिलीभगत से कारनामा किया गया तो सिर्फ श्रमदान घोषित कर कार्रवाई को इतिश्री क्यों? इसमें संलिप्त दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई कब होगी।फिलहाल ऐसे मामलों में जब कारनामा उजागर होता है तो अधिकारी खुद और अपने अधीनस्थ को बचाते हुए श्रमदान घोषित करना उचित समझते हैं और करेंगे भी क्यों नहीं जब पहले ही सब सेटिंग करके खेला रचा जाता है। फिलहाल नहर अधिकारी को जरूरत पड़ने पर फिर से सफाई कार्य किसी और कार्यदायी संस्था से कराए जाने के निर्देश दिए गए हैं।