उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी को दोबारा मुख्यमंत्री चुनकर भाजपा ने साफ कर दिया कि नेतृत्व क्षमता के पैमाने पर कोई खरा साबित होता है तो उसे फिर से अवसर दिया ही जाना चाहिए।
दो-तिहाई बहुमत के साथ लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी
धामी पार्टी का चुनावी चेहरा थे और उन्हीं को आगे कर भाजपा महासमर में उतरी। धामी भाजपा नेतृत्व के विश्वास को बनाए रखने में सफल रहे और कई तरह के मिथक तोड़ते हुए उन्होंने भाजपा की दो-तिहाई बहुमत के साथ लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी सुनिश्चित की।
यद्यपि, वह स्वयं अपनी सीट गंवा बैठे, लेकिन पार्टी ने इसके बावजूद उन्हीं पर अगले पांच साल के लिए भरोसा किया। विशेष रूप से पार्टी के इस निर्णय को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि धामी पर वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में शत-प्रतिशत सफलता के पिछले दो चुनाव के रिकार्ड को बनाए रखने की जिम्मेदारी रहेगी।
संवादहीनता पाटने में पाई सफलता
पिछले वर्ष जुलाई में जब तीरथ सिंह रावत के उत्तराधिकारी के रूप में युवा विधायक पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री पद का दायित्व सौंपा गया, तब इस बात को लेकर संशय था कि अनुभव के दृष्टिकोण से क्या वह उम्मीदों को पूरा कर पाएंगे। धामी तब ऊधमसिंह नगर जिले की खटीमा सीट से केवल दूसरी बार ही विधायक बने थे और उन्हें कभी मंत्री बनने तक का अवसर नहीं मिला था।
इसके बावजूद छह महीने की अल्प अवधि में धामी ने न केवल सरकार और पार्टी के बीच की संवादहीनता को पाटने में सफलता पाई, बल्कि सौम्य छवि, सरल कार्यशैली और आसानी से उपलब्धता के मामले में भी वह अपने पूर्ववर्तियों से आगे निकल गए।
वाणी पर संयम, दिग्गजों से पाई सराहना
छह महीनों के कार्यकाल में धामी के व्यक्तित्व का एक और पहलू सामने आया, वाणी पर संयम। इंटरनेट मीडिया के इस युग में जब तिल का ताड़ बनते देर नहीं लगती, धामी के किसी बयान ने कोई नकारात्मक चर्चा नहीं बटोरी। यही नहीं, इस अवधि में किसी तरह के विवाद का कोई दाग भी उनके दामन पर नहीं लगा।