आखिर क्या कारण है? ग्राम पंचायत कौरासा बिसवा की गौशाला का आकस्मिक निरीक्षण हिन्दू वाहिनी गौ रक्षा प्रकोष्ठ सीतापुर को करना पड़ा

नैमिष टुडे-अनुज कुमार जैन
सीतापुर,बिसवा
यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। पशुओं को भी देश के नागरिकों की तरह जीने का अधिकार है। उन्हें भी आधिकार मिले हैं जिनका प्रयोग पशु प्रेमी करते हैं क्योंकि बेजुबान जानवार खुद तो अपनी पैरवी नहीं कर सकता।आखिर क्या कारण है? ग्राम पंचायत कौरासा ब्लाक बिसवां की गौशाला का आकस्मिक निरीक्षण हिन्दू वाहिनी गौ रक्षा प्रकोष्ठ सीतापुर को करना पड़ा मौका पर जो देखने को मिला वह दिल दहला देने वाला मंजर था। शायद जानवरों के प्रति इंसानियत तार -तार हो रही थी।
निरिक्षण मौका पर जितेन्द्र सिंह यादव जिला अध्यक्ष गौ रक्षा प्रकोष्ठ सीतापुर आशीष कुमार जिला उपाध्यक्ष गौ रक्षा प्रकोष्ठ सीतापुर राहुल कुमार ब्लाक उपाध्यक्ष बिसवां अंकिता चतुर्वेदी मीडिया प्रभारी महिला प्रकोष्ठ आदि लोग मौजूद रहे।
मन को झंझोर कर रख देने वाला दृष्य गौशाला देखने को मिला, ताला लगा हुआ था। एक भी टे्कर गौशाला में नहीं मिला गौशाला के हालत असहनीय, दयानीय और रौंगटे खड़े कर देना वाला मंजर यह था कि गौशाला में गौ वंशों को उनकी जारूरत के मुताबिक चारा नहीं मिल रहा था वंही हृदय विदारक मंजर यह भी था कि गौशाला में एक गौवंश मरणासन्न अवस्था में पराली और पल्ली से ढका हुआ मिला जिसको कौवे और कुत्ते नोच रहे थे।

प्रधान से कोई सम्पर्क न हो पाने पर जिला अध्यक्ष ने यह सूचना अपने प्रदेश अधिकारियों को दी। सूचना मिलने पर प्रदेश उपाध्यक्ष जितेन्द्र कुमार मिश्रा ने खण्ड विकास अधिकारी बिसवां को अवगत कराया तथा समस्त फोटो इत्यादि भी भेजे। खण्ड विकास अधिकारी ने प्रदेश उपाध्यक्ष से कहा किहम प्रधान के प्रति सख्त से सख्त कार्यवाही करेगें।

पशु क्रूरता के लिए सजा क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 428 और 429 के तहत अगर किसी ने जानवर को जहर दिया, जान से मारा, कष्ट दिया तो उसे दो साल तक की सजा हो सकती है। इसके साथ ही कुछ जुर्माने का भी प्रावधान है।
गौरतलब है कि भारत में पशुओं के खिलाफ क्रूरता को रोकने के लिए साल 1960 में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम लाया गया था। साथ ही इस ऐक्ट की धारा-4 के तहत साल 1962 में भारतीय पशु कल्याण बोर्ड का गठन किया गया। इस अधिनियम का उद्देश्य पशुओं को अनावश्यक सजा या जानवरों के उत्पीड़न की प्रवृत्ति को रोकना है।

पशुओं के लिये स्वतंत्रता: हाल ही में सरकार ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 में संशोधन करने के लिये पशु क्रूरता निवारण (संशोधन) विधेयक-2022 का मसौदा पेश किया

मसौदे में एक नई धारा 3A को शामिल करने का भी प्रस्ताव है, जो पशुओं को ‘पाँच प्रकार की स्वतंत्रताएँ’ प्रदान करता है।
1 किसी पशु को रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति का यह कर्तव्य होगा कि वह यह सुनिश्चित करे कि उसकी देखभाल में रह रहे पशु के निम्नलिखित अधिकार हों:
2 प्यास, भूख और कुपोषण से मुक्तिप
3 पर्यावरण के कारण होने वाली असुविधा से मुक्ति
4 दर्द, चोट और बीमारियों से मुक्ति
5 प्रजातियों के लिये सामान्य व्यवहार व्यक्त करने की स्वतंत्रता

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