अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने साफ संकेत दिया है कि दुनियाभर में महंगाई से उपजे हालात अनुमान से अधिक खराब हो सकते हैं। हालात से निपटने के लिए फेडरल बैंक ने वर्ष 2018 के बाद पहली बार ना सिर्फ ब्याज दर (0.25 प्रतिशत) को बढ़ाया है, बल्कि इसके बाद भी इस वर्ष छह बार ब्याज दरों को बढ़ाने की घोषणा की है। हालांकि जानकारों के अनुसार आरबीआइ अगले महीने की मौद्रिक नीति समीक्षा में सीधे तौर पर ब्याज दरों को बढ़ाने से परहेज करेगा।
यह भी कहा जा रहा है कि पिछले दिनों अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल व अन्य कमोडिटी की कीमतों में नरमी आई है। उसे देखते हुए आरबीआइ जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाएगा।इस वर्ष फरवरी में खुदरा महंगाई दर 6.1 प्रतिशत रही है जो पिछले आठ महीनों में सर्वाधिक है। साथ ही यह आरबीआइ की तरफ से निर्धारित चार प्रतिशत लक्ष्य (दो प्रतिशत कम-ज्यादा) से लगातार दूसरे महीने ज्यादा रही है।
इसके बावजूद मोतीलाल ओसवाल के चीफ इकोनोमिस्ट निखिल गुप्ता का कहना है कि आरबीआइ ब्याज दरों को सीधे बढ़ाने के लिए थोड़ा इंतजार करेगा। आरबीआइ ने मई, 2020 से ही रेपो रेट को चार प्रतिशत पर स्थिर रखा है। विशेषज्ञों के अनुमान से इतर आरबीआइ ने पिछले महीने भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया। मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट के अनुसार आरबीआइ अभी ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगा जिससे इकोनमी में सुस्ती आए।