अमेरिका-चीन राष्ट्रपतियों के बीच संभावित शिखरवार्ता – राह आसान नहीं

 

दुनियां की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच रिश्तों को दोबारा पटरी पर लाने की दिशा में अहम कवायद शुरू

अमेरिका चीन के बीच कई मुद्दों पर मतभेदों के बावजूद, संवाद का गलियारा कायम रखना दोनों देशों के लिए अति फायदेमंद – एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर तृतीय विश्व युद्ध की चाबी रूस- यूक्रेन हमास-इजरायल युद्ध को देखते हुए पूरी दुनियां की नजरे चीन विदेश मंत्री की 26-28 अक्टूबर 2023 तीन दिवसीय अमेरिका यात्रा पर लगी हुई थी, जिसमें अमेरिका विदेश मंत्री और राष्ट्रपति की मुलाकात का शेड्यूल फिक्स था, इससे दुनियां में कयास लगाए जा रहे थे कि नवंबर 2023 में सेंट फ्रांसिस्को में आयोजित होने वाले एशिया प्रशांत आर्थिक सहयोग मंच (एपीसीईपी) के शिखर सम्मेलन या इसके पूर्व या बाद में अमेरिका चीन राष्ट्रपतियों के बीच एक शिखर वार्ता का रास्ता निकाला जाए ताकि खटास को किनारे करने के रास्ते में आगे बड़ा जाए और विश्व शांति केप्रतीक बने, परंतु इस शिखरवार्ता का सबसे बड़ा बाधक ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के बीच जारी विवाद है और अभी हमास इजरायल युद्ध में संयुक्त राष्ट्र में पारित युद्ध विराम प्रस्ताव जो 120/ 14 मतों से पारित हुआ है और 45 वोट नहीं पड़े जिसे अमेरिकी सहित मित्र देशों ने विरोध में मत दिया और चीन पाकिस्तान सहित मित्र देशों ने इसके पक्ष में मत दिया, परंतु इजराइल ने इस युद्ध विराम प्रस्ताव को खारिज कर दिया है और 28 अक्टूबर 2023 को देर रात्रि से जमीनी हमले शुरू हो गए हैं चूंकि चीन विदेश मंत्री द्वारा तीन दिवसीय यात्रा समाप्त कर आज दोनों देशों के राष्ट्रपतियों की संभावित शिखरवार्ता की राह आसान नहीं का बयान देकर अमेरिका सहित दुनियां को भौचक का कर दिया है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, अमेरिका चीन के बीच कई मुद्दों पर मतभेदों के बावजूद संवाद का गलियारा कायम रखना दोनों देशों के लिए अति फायदेमंद है।
साथियों बात अगर हम अमेरिका दौरा पूरा कर चीन विदेश मंत्री के बयान की करें तो, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच संभावित मुलाकात को लेकर चीन की ओर से बड़ा बयान सामने आया है। चीन के इस बयान से अमेरिका भी भौचक्का रह गया है। चीन के विदेश मंत्री का मानना है कि शी चिनफिंग और जो बाइडन की संभावित बैठक की राह आसान नहीं होगी। सकारात्मक नतीजों की उम्मीद भी बेहद कम है। चीनी विदेश मंत्रालय के इस बयान के बाद आगे क्या होगा, इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। मगर तनाव के बीच दोनों ही देशों को अपने रिश्ते सुधारने में फायदा दिख रहा है। चीन के अनुसार नतीजों तक पहुंचने के लिए दोनों पक्षों को मिलकर काम करना होगा। चीन के विदेश मंत्रालय ने रविवार को जारी एक बयान में यह जानकारी दी। चीन के विदेशमंत्री ने अपनी तीन दिवसीय वाशिंगटन यात्रा के दौरान बाइडन के साथ-साथ अमेरिकी विदेशमंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से भी मुलाकात की थी।दोनों पक्ष ने इस दौरान सैन फ्रांसिस्को में नवंबर में आयोजित हो रहे एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग मंच (एपीईसीएफ) के शिखर सम्मेलन से इतर द्विपक्षीय बैठक को लेकर काम करने पर सहमति जताई। चीन के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान में अमेरिकी रणनीतिक समुदाय के सदस्यों से हुई चर्चा का सारांश दिया गया। वांग ने कहा कि द्विपक्षीय बैठक की राह आसान नहीं होने वाली है और उन्हें इसके होने के लिए स्वत: होने के भाव पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। वांग की तीन दिवसीय वाशिंगटन यात्रा ऐसे समय हुई है जब दोनों देशों के बीच उच्च प्रोद्योगिकी के निर्यात परअमेरिकी प्रतिबंध और पूर्वी और दक्षिणी चीन सागर में चीन के आक्रमक रवैये सहित विभिन्न मुद्दों पर तनाव चरम पर है।बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों के बीच कई मुद्दे हैं जिनका समाधान किया जाना है लेकिन दोनों पक्ष मानते हैं कि अमेरिका और चीन के बीच संवाद कायम रखना दोनों पक्षों के लिए लाभदायक और आवश्यक है। विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार पिछले साल जी20 शिखर सम्मेलन में चिनफिंग और बाइडन की पिछली मुलाकात का संदर्भ देते हुए वांग ने कहा कि चीन और अमेरिका को बाली में वापसी करने की जरूरत है। बाली में दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने ताइवान, अमेरिका-चीन व्यापार तनाव के मुद्दों के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग पर भी चर्चा की थी। बता दें किवांग ने 26 से 28 अक्टूबर तक अमेरिका का दौरा किया था। वाशिंगटन में वांग ने अमेरिकी प्रेसीडेंट बाइडेन, विदेश मंत्री ब्लिंकन और उनके शीर्ष सहयोगियों से मुलाकात की थी। उनकी अमेरिका से एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग मंच शिखर सम्मेलन में अपेक्षित द्विपक्षीय बैठक के लिए काम करने पर भी बात हुई। बता दें कि अमेरिका और चीन के आपसी संबंध बहुत अच्छे नहीं रहे हैं। आर्थिक तौर पर आगे बढ़ने और कई मुल्कों में अपना प्रभाव जमाने के लिए दोनों देशों के बीच रस्साकशी चलती रही है। माना जा रहा है कि बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन चीन के साथ तनावपूर्ण रिश्तों को ठीक करने की तरफ देख रहा है। चीनी विदेश मंत्री का हालिया दौरा और नवंबर के सम्मेलन के लिए जिनपिंग को न्योता उसकी इसी पहल का हिस्सा है।
साथियों बात अगर हम चीन विदेश मंत्री और अमेरिकी राष्ट्रपति की मुलाकात की करें तो, अमेरिका के राष्ट्रपति ने चीन के विदेश मंत्री से मुलाकात की। दोनों देशों के नेताओं ने यह मुलाकात चीन के राष्ट्रपति की यात्रा से पहले संबंधों को बेहतर बनाना चाहते हैं। दोनों नेताओं ने वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया। व्हाइट हाउस ने कहा कि जो बाइडन ने इस बात पर जोर दिया कि संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन दोनों को रिश्ते मजबूत करने और खुली लाइनें बनाए रखने की जरूरत है। व्हाइट हाउस ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन को वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए एक साथ काम मिलकर काम करने की आवश्यकता है। बाइडन प्रशासन के प्रवक्ता ने बताया कि बाइडन और वांग ने व्हाइट हाउस के रूजवेल्ट कमरे में मुलाकात की थी। इस दौरान विदेश मंत्री और एनएसए मौजूद थे।
साथियों बात अगर हम संयुक्त राष्ट्र में युद्ध विराम प्रस्ताव की करें तो, संयुक्त राष्ट्र महासभा में शुक्रवार (27 अक्टूबर) को गाजा में हमास और इजरायली सुरक्षा बलों के बीच संघर्ष विराम के लिए एक व्यापक प्रस्ताव अपनाया इजरायली जमीनी हमलों और बमबारी में इजाफे के बीच इसमें गाजा में फंसे लोगों को लगातार जीवन के लिए जरूरी और पर्याप्त सहायता उपलब्ध कराने की मांग की गई।प्रस्ताव जॉर्डन की ओर से लाया गया था। इसे संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों की ओर से बहुमत से अपनाया गया। इसके पक्ष में 120 वोट पड़े, विरोध में 14 मत पड़े और 45 वोट नहीं पड़े। एक विशेष सत्र में इजरायल, अमेरिका, हंगरी और पांच पेसिफिक आइलैंड स्टेट्स ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया। मीडिया में यह भी बताया कि मतदान के दौरान भारत ने फिलिस्तीन को लेकर नई दिल्ली के सुसंगत रुख पर जोर दिया था।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अमेरिका-चीन राष्ट्रपतियों के बीच संभावित शिखरवार्ता – राह आसान नहीं।दुनियां की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच रिश्तों को दोबारा पटरी पर लाने की दिशा में अहम कवायद शुरू।अमेरिका चीन के बीच कई मुद्दों पर मतभेदों के बावजूद, संवाद का गलियारा कायम रखना दोनों देशों के लिए अति फायदेमंदहै

*-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र*

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