ग्राम पंचायत बीकासुर ग्रंट के नंदी गौ आश्रय स्थल में लावारिस पसु देख रेख और चारा के अभाव में तोड़ रहे दम 

ग्राम पंचायत बीकासुर ग्रंट के नंदी गौ आश्रय स्थल में लावारिस पसु देख रेख और चारा के अभाव में तोड़ रहे दम

 

मिश्रित सीतापुर / विकासखंड मिश्रित की ग्राम पंचायत बीकासुर ग्रंट के अल्प संख्यक समुदाय की महिला ग्राम प्रधान अमीना के पति व्दारा जयपुर के पास जंगल के बीचो बीच ग्राम समांज की ऊसर भूमि में निर्मित कराए गए गौ आश्रम स्थल में तैनात दो गौ सेवकों की देख रेख और चारा के अभाव में लावारिस पसु दम तोड़ रहे है । इस पसु आश्रय स्थल में रहने वाले पसुओं हेतु चारा की कोई व्यवस्था नही है । चारा के अभाव में आए दिन गौवंशीय पसुओं की मौत हो रही है । ग्राम प्रधान व पंचायत सचिव व्दारा इन मृतक गौवंशीय पसुओं का अंतिम संस्कार न कराकर गौ आश्रय स्थल के उत्तर स्थित बेंता नदी के किनारे जंगल में डलवा दिया जाता है । जिनको जहां कौवे , कुत्ते नोंच नोंच कर खाते रहते है । वहीं इन गौवंशीय पसुओ के शव सड़ जाने से इतनी बदबू आती है। कि पड़ोसी गांव जयपुर , गिरधरपुर , महाबीरपुर के किसान खेतों में काम करने से कतराने लगे है । तमांम जन सिकायतों के बावजूद भी सम्बंधित अधिकारी व कर्मचारी सब कुछ जान कर अंजान बने हुए है । ज्ञात हो कि प्रदेश सरकार ने लावारिस गौवंशीय पसुओं के रहने हेतु लाखों रुपयो की धनराशि खर्च कर प्रत्येक ग्राम पंचायत पर गौ आश्रय स्थलों का निर्माण कराया है । और उनके रहने खाने और देख रेख के लिए प्रत्येक गौ आश्रय स्थल पर दिन और रात की सेवा के लिए दो गौ सेवकों को नियुक्ति किया गया है । वहीं इन पशु आश्रय स्थलों में चारा , पानी की कोई कमी न रहे है । इस लिए जिलाधिकारी अनुज सिंह के निर्देश पर मार्च और अप्रैल मांह में सभी विभागों के कर्मचारियों ने अपना एक एक दिन का वेतन दान में दिया था । ताकि गौ आश्रय स्थलों में चारा की उचित ब्यवस्था की जा सके । फिर भी इन गौ आश्रय स्थलों में एक भी दाना भूसा तक नही है । दाना , गुड , और हरी , घास के दर्शन तो बहुत दूर है । आपको बता दें कि ग्राम पंचायत वीकासुर ग्रंट में अल्पसंख्यक महिला प्रधान पति व्दारा जयपुर के पास जंगल के बीचो बीच ऊसर भूमि निर्मित कराए गए नंदी गौ आश्रय स्थल में लावारिस पसु चारा के अभाव में आए दिन दम तोड़ रहे है । इस पसु आश्रय स्थल में ग्राम महाबीरपर निवासी कमलेश व एक और ब्यक्ति गौ सेवा के लिए कागजों पर तैनात है । परन्तु दोनों गौ सेवक सिर्फ ग्राम पंचायत का सरकारी खजाना खाली कर रहे है । गौ सेवा के लिए उनको समय नही है । यह गौ सेवक किसी भी समय गौ आश्रय स्थल नही आते है । इस गौ आश्रय स्थल में मात्र एक छोटा टीन सेड पड़ा हुआ है । जो धूप और बरसात के लिए नाकाफी है । चारा हेतु एक छोटा गोदाम निर्मित कराया गया । जिसमें भूसा , चारा आदि कुछ भी नही है । पसु आश्रय स्थल का गेट निर्मित कराकर चारो ओर तार कांटा लगाकर बंद किया गया है । यह पसु आश्रय स्थल ऊसर की भूमि में निर्मित है । जिससे इसमें घास तक नही उगी है । लावारिस पसु प्रदेश सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों की दुहाई देकर भूख प्यास से तड़प तड़प कर आए दिन मर रहे है । इन पसुओं की मृत्व का श्रेय का प्रघान पति और पंचायत सचिव अमित शाहू व खंडविकास अधिकारी प्रवीन जीत को जाता है । यह सभी अधिकारी तमांम जन सिकायतों और समांचार पत्रों में समांचार प्रकाशन के बाद भी इन पसुओं की ब्यवस्था करने में नाकाम साबित हो रहे है । मौके पर दो लावारिस पसु दम तोड़ रहे है । कई पसु भूखे प्यासे गौ आश्रय स्थल के बाहर पड़े दम तोड़ रहे है । इतना ही नही इस पसु आश्रय स्थल में लग भग 500 से अधिक लावारिस संरक्षित थे । दो मांह में लग भग दो सौ पसु भूख प्यास से तड़प तड़प कर मर चुके है । प्रधान के पति मुस्ताक व्दारा मृत पसुओं का अंतिम संस्कार न कराकर गौ आश्रय स्थल के उत्तर स्थित वेता नदी के किनारे जंगल में शव डलवा दिए जाते है । जिन्हे कुत्ते और जंगली जीव जन्तु जहां नोंच नोच कर खाते रहते है । इन लावारिस पसुओं के शवों की दर्गंध के चलते आस पास के किसान अपने खेतों में कृषि कार्य करने नही आते है । इस लिए यहां के स्थानीय ग्रामीणो ने जिलाधिकारी का ध्यान इस ओर आकर्षित कराते हुए प्रधान पति व तैनात दोनों गौ रक्षकों के बिरुध्द सख्त कार्यवाही करने की मांग की है । ताकि इस गौ आश्रय स्थल में रहने वाले लावारिस पसुओं का जीवन बच सके ।

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