उगंली का निशान दिखाकर बताएं मैंने फाइलेरियारोधी दवा खाई है
– 10 अगस्त से चलेगा सर्वजन दवा सेवन अभियान
नैमिष टुडे
अभिषेक शुक्ला
सीतापुर। आम चुनाव में जिस तरह मतदान के समय मतदाता की उगंली में स्याही का निशान लगाया जाता है। उसी तरह इस बार के सर्वजन दवा सेवन अभियान (आईडीए) के दौरान फाइलेरियारोधी दवा खाने वाले लाभार्थी की उगंली पर निशान लगाया जाएगा। आगामी 10 अगस्त से शुरू हो रहे आईडीए अभियान की शत-प्रतिशत सफलता के लिए स्वास्थ्य विभाग ने यह कवायद शुरू की है। यह प्रक्रिया इसलिए भी की जा रही है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को इस बात का पता चल सके कि कितने लाभार्थियों ने इस दवा का सेवन किया है और कितने लाभार्थी इससे वंचित हैं।
सनद रहे कि राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत आगामी 10 से 28 अगस्त के मध्य आईडीए अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के दौरान जिले के 45.20 लाख लोगों को फाइलेरियारोधी दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा 3,616 टीमें और 728 सुपरवाइजर की तैनाती की गई है। यह टीम में शामिल आशा कार्यकर्ता अपने सामने ही दवा खिलाएंगी। दवा का वितरण नहीं किया जाएगा। दवा खाने वाले व्यक्ति के दाएं हाथ की तर्जनी उंगली पर मार्कर पेन से निशान लगाया जाएगा।
सीएमओ डॉ. हरपाल सिंह का कहना है कि फाइलेरिया उन्मूलन के लिए इस अभियान को जन-आंदोलन बनाने की जरूरत है। यह अभियान तभी सफल होगा जब इसमें समुदाय के सभी लोग अपनी सहभागिता सुनिश्चित करेंगे। अथक प्रयास किये जायेंगे कि कोई भी लाभार्थी दवा खाने से छूट न जाये। उन्होंने कहा कि फाइलेरियारोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं। हालांकि इन दवाओं का कोई विपरीत प्रभाव नहीं है। फिर भी किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं, तो यह इस बात का प्रतीक हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद है। ऐसे लक्षण इन दवाओं के सेवन के उपरांत शरीर के भीतर परजीवियों के मरने के कारण उत्पन्न होते हैं। सामान्यतः ये लक्षण स्वतः समाप्त हो जाते हैं। परंतु ऐसी किसी भी परिस्थिति के लिए प्रशिक्षित रैपिड रिस्पॉन्स टीम आरआरटी भी बनाई गई है। आवश्यकता पड़ने पर आरआरटी को उपचार के लिए आशा कार्यकर्ता के माध्यम से बुलाया जा सकता है।
राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. राज शेखर ने बताया कि फाइलेरियारोधी दवा का सेवन एक वर्ष के बच्चों, गर्भवती और अति गंभीर बीमार को छोड़कर सभी को करना है। आइवरमेक्टिन ऊंचाई के अनुसार खिलाई जाएगी। एल्बेंडाजोल को चबाकर ही खानी है। एक से दो वर्ष की आयु के बच्चों को एल्बेंडाजोल की आधी गोली खिलाई जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के सम्बन्ध में जागरूकता के लिए स्वैच्छिक संगठनों, ग्राम प्रधानों, राशन डीलर्स, किसानों के समूहों, व्यापार मंडल, गन्ना मिल प्रबंधकों और धार्मिक गुरुओं से सहयोग लिया जा रहा है।