
*जब कृष्ण दर्शन के लिए स्वयं पहुंचे भगवान शिव ,उमा दास महाराज*
महराजगंज/जौनपुर / अरुण कुमार दूबे
स्थानीय ग्राम सभा गोंदालपुर में राम कृष्ण कथा आयोजन चल रहा था जहां कथा वाचक उमादास जी ने बताया कि।जब शंकर भगवान को पता चला कि गोकुल में नन्द जी के यहां साक्षात् नारायण ने जन्म लिया है तो वे उनकी एक झलक की लालसा से गोकुल की ओर दौड पड़े। गले में सर्प भव्य जटा और हाथ में त्रिशूल देखकर माता यशोदा डर जाती तो बाल कृष्ण की एक झलक पाने के लिए महादेव वेश बदलते हैं और साधु का रुप धारण कर भीक्षा मांगते हुए माता यशोदा के पास पहुंचते हैं।यशोदा माता को भय था कि साधु का रूप देखते ही कान्हा भयभीत हो जाएगा। वह शिव जी को साफ तौर पर कृष्ण के दर्शन के लिए मना कर देती हैं और जाने के लिए कहती हैं। मगर भगवान शिव भी कान्हा के दर्शन की जिद नहीं छोड़ते हैं।फिर पूरणमासी काकी माता यशोदा को मनाती है की एक बार साधु को कान्हा के दर्शन कर लेने दो। काकी की बात सुनकर यशोदा माता मान जाती है और अपने लल्ला को बाहर ले आती हैं। भगवान शिव श्री कृष्ण से मिलकर वापस चले जाते हैं। जाते जाते महादेव अपने चरणों को छाप छोड़ जाते हैं जिसे देख यशोदा और नंदराय समझ जाते हैं की ये कोई आम ब्राह्मण नहीं थे कोई दिव्य पुरुष थे वह कथा सुनकर दर्शक भावविभोर हुए वही मौके पर ग्राम प्रधान विनोद पाल कोटेदार वीर बहादुर यादव अरविंद यादव अलंकार बिंद विजय नाथ बिंद राजेंद्र प्रसाद बिंद हरिश्चंद्र नंदलाल लाल बिंद सहित तमाम ग्रामीण मौजूद रहे