
कोर्ट ने एसपी को कदाचार में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्यवाही का दिया निर्देश
वास्तविक मुल्जिमो को बचाने की नीयत से साजिश में पुलिसकर्मियों का माना कारनामा,कोर्ट ने की कड़ी टीप्पणी
पुलिस स्टेशन का पूरा हिस्सा सीसीटीवी कैमरे से कवर होने एवं 18 माह तक या न्यूनतम एक वर्ष तक फुटेज सुरक्षित रखने के निर्देश का कोर्ट ने किया जिक्र,जमकर उड़ाई गई नियमों की धज्जियां,थाना प्रभारी से लेकर अन्य जिम्मेदारो की बढ़ सकती है मुश्किलें
अदालत ने आरोपियो की जमानत की मंजूर,अभियोजन प्रमुख होने के नाते अवलोकन व उचित स्टेप को लेकर डीएम को भी भेजी गई आदेश की प्रति
कोतवाली से बाइक चोरी के केस में पुलिसिया कहानी से कोर्ट हैरान,विवेचक नहीं दे सके संतोषजनक जवाब,कोर्ट ने मामले मे लिया संज्ञान
नैमिष टुडे/संवाददाता
सुल्तानपुर। कोतवाली नगर से बाइक चोरी व पुलिस पर हमले के आरोप से जुड़े मामले में जेल गए दोनों आरोपियो की जमानत अर्जी एडीजे तृतीय राकेश पाण्डेय की अदालत ने मंजूर कर ली है। वहीं अदालत ने सीसीटीवी फुटेज को जांच का हिस्सा न बनाने से लेकर अन्य लापरवाहियो पर संज्ञान लिया है। अदालत ने सम्बंधित पुलिस अधिकारियों व कर्मियों के खिलाफ जांच करने व कदाचार में शामिल पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही को लेकर एसपी को निर्देश दिया है। वहीं अदालत ने जिले का अभियोजन प्रमुख होने व उचित स्टेप लेने को लेकर डीएम को भी प्रति भेजने का आदेश दिया है।
बन्धुआकला थाने के हरखी दौलतपुर के रहने वाले मनोज गौतम ने बीते 10 जून की घटना बताते हुए कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया। आरोप के मुताबिक अमहट चौराहे के पास बीते 10 जून को हुई सड़क दुर्घटना में उनके छोटे भाई धर्मेंद्र कुमार की मृत्यु हो गई थी। दुर्घटना के बाद मृतक की मोटरसाइकिल यूपी 36वी- 8492 को सिपाही अभिषेक मिश्र के जरिये कोतवाली लाने का मामला सामने आया,जिसके बाद कोतवाली परिसर से यह बाइक चोरी हो गई थी। सामने आए सीसीटीवी फुटेज में होमगार्ड ब्रम्हानन्द तिवारी का चेहरा सामने आया। इस मामले से जुड़े सभी पुलिस कर्मियों का बयान सवालों के घेरे में है। कुछ पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई भी हुई है। मामले में पुलिस ने आरोपी सत्यम कश्यप व अयान खान का नाम सामने लाते हुए उनके पास से बाइक बरामद होना बताकर व पुलिस पर हमले का दूसरा मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेजा था,जेल भेजने के पहले ही आरोपियो के परिजनों की तरफ से पुलिस के खिलाफ शिकायत की भी बात सामने आई। आरोपियों की तरफ से प्रस्तुत जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान सीसीटीवी फुटेज में दिखे होमगार्ड व अन्य शामिल पुलिस कर्मियों का नाम जांच में शामिल न होने पर कोर्ट ने विवेचक शिवानन्द यादव की लापरवाही पर संज्ञान लेते हुए उन्हें सीसीटीवी फुटेज के साथ तलब कर लिया था। विवेचक के गोलमोल बयान से कोर्ट नाराज भी रही। बचाव पक्ष के अधिवक्ता अशोक मिश्र-हलियापुर व प्रदीप कुमार तिवारी ने पुलिसिया कहानी को पूरी तरीके से फर्जी बताते हुए कार्यवाही किये जाने व आरोपियो की जमानत मंजूर किये जाने की मांग किया। कोर्ट ने मामले में पुलिस के कारनामे पर कड़ी टिप्पणी करते हुए सुनवाई के पश्चात आदेश सुरक्षित कर लिया था। बृहस्पतिवार को अदालत ने मामले में कड़ा आदेश जारी किया। कोर्ट ने वर्ष-2020 में पुलिस स्टेशन में सीसीटीवी लगने व फुटेज सुरक्षित रखने को लेकर सुप्रीम कोर्ट व उच्चाधिकारियों से जारी निर्देशो का जिक्र करते हुए सीसीटीवी फुटेज 18 माह तक या कम से कम एक वर्ष तक सुरक्षित रखने की भी बात कही,लेकिन इस मामले में अपनी करतूत छिपाने के चक्कर मे जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों के जरिये जारी निर्देशो की जमकर अवहेलना करने की बात सामने आई। अदालत ने इस केस से जुड़े कदाचार में शामिल पुलिस अधिकारियों व कर्मियों के जरिए वास्तविक मुल्जिमो को बचाने के लिए जेल गए दोनों आरोपियों को फंसाया जाना प्रतीत होना बताया। ऊपर से लेकर नीचे तक सभी जिम्मेदारों की मिलीभगत के बिना यह कारनामा संभव नहीं माना जा रहा है। कोर्ट के निर्देश के बाद पुलिस विभाग के जरिये जल्द ही संबंधितों के खिलाफ एक्शन लेने की उम्मीद जताई जा रही है।