12 वीं पास युवक का हैरतअंगेज कारनामा,फ़र्ज़ी डॉक्टर बन कई वर्षों से गांव वासियों की जान से करता रहा खिलवाड़

12 वीं पास युवक का हैरतअंगेज कारनामा,फ़र्ज़ी डॉक्टर बन कई वर्षों से गांव वासियों की जान से करता रहा खिलवाड़
अधेड़ के इलाज़ से 45 वर्षीय दलित युवक की हुई मृत्यु,सिर दर्द खत्म करने के लिए दिमाग की नसों में लगाया इंजेक्शन

कन्नौज/हिमांशु द्विवेदी
छिबरामऊ थाना क्षेत्र के कुंवरपुर बनवारी गांव निवासी कलेक्टर उर्फ़ राजा पुत्र रामधनी सिर में तेज दर्द होने की शिकायत लेकर थाना क्षेत्र के गांव नौगांव स्थित एक प्राइवेट क्लीनिक पर गए जहां उनकी मुलाकात वहां बैठे एक युवक दीपू उर्फ दीप सिंह पुत्र मिट्ठूलाल निवासी थाना जहानगंज से हुई जिसने खुद को डॉक्टर बताते हुए बेहतर इलाज करने का वादा किया।बकौल पीड़ित परिजन उसने कलेक्टर के सिर में इंजेक्शन लगा दिया जिससे उनकी तबियत खराब हो गई और वह सड़क पर बेहोश गए उन्हें वहां से पुलिस ने सौ सैया अस्पताल में भर्ती करवाया।पीड़ित परिजनों के पास पैसे ना होने के चलते वह युवक को घर लाए जहां उसने दम तोड़ दिया।ग्राम वासियों ने पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि पिछले 20 से 25 वर्षों से 12 वीं पास दीपू उर्फ़ दीप सिंह खुद को बड़ा डॉक्टर बताते हुए आस पास के कई गांव के लोगों का इलाज़ करता आ रहा है।उसने गांव वालों की आंखों में धूल झोंकते हुए खुद का एक निजी क्लीनिक तैयार किया जहां वह मरीजों को दवाई देने के अलावा इंजेक्शन और ग्लूकोज की बोतले भी लगता था और उनसे इलाज के बदले अच्छी खासी रकम बसूल करता था।उसका यह गोरखधंधा जहां एक ओर बड़ी जोर शोर से चल रहा था तो वहीं यह स्वास्थ्य विभाग की नाक के नीचे होता बड़ा फर्जी बड़ा था जिसकी जानकारी से स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी पूर्ण रूप से महरूम थे।अब जबकि झोलाछाप के इलाज से एक दलित युवक ने अपनी जिंदगी गंवा दी तो मामले की जानकारी पुलिस विभाग को हुई मौके पर पहुंची पुलिस युवक को हिरासत में लेकर थाने आ गई।वहीं पीड़ित परिजनों ने प्रार्थना पत्र देते हुए आरोपी युवक के ख़िलाफ़ कानूनी कार्यवाही करने के लिए उच्चाधिकारियों से गुहार लगाई।
दरअसल इस तरह के कई फर्जी डॉक्टरों और ऐसे नमूनों की जिलों में एक बाढ़ सी आई है हालांकि समय समय पर स्वास्थ्य विभाग चेकिंग अभियान चला इन पर कार्यवाही करने का आश्वासन देता आ रहा है पर जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है।
सूत्रों का कहना है कि दलालों की मिलीभगत से यह सब गोरखधंधे अपने चरम पर हैं जहां एक ओर ऐसे अस्पताल और क्लीनिक संचालकों पर एक ओर कार्यवाही होती है तो वहीं दूसरी ओर दलालों की मारफ़त सेटिंग कर मोटी रकम दे यह गोरखधंधों के खिलाड़ी नई जगह नए नाम से फिर से काम चालू कर देते हैं।
जनता में चर्चा का विषय यह है कि आख़िर ऐसे अनपढ़ों के हाथों से कब तक जनता अपनी जान से खिलवाड़ होता देखती रहे।

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