
बिल्डरों ने काटे हरे-भरे वृक्ष, वन विभाग बना मूकदर्शक
नैमिष टुडे/विष्णु सिकरवार
आगरा। थाना ताजगंज क्षेत्र के तोरा चौकी अंतर्गत श्रीजी नगर कॉलोनी, कलाल खेरिया, फतेहाबाद रोड पर बिल्डरों द्वारा बिना अनुमति हरे-भरे पीपल, पाकड़ और अन्य वृक्षों को काटने का मामला सामने आया है। 31 जनवरी को ये वृक्ष काटे गए, लेकिन प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
शिकायतकर्ता ने इस अवैध कटाई की शिकायत वन विभाग में भी दर्ज कराई, लेकिन विभाग के अधिकारियों ने इसे नजरअंदाज कर दिया। आरोप है कि सिक्कों की खनक के चलते वन विभाग ने इस गंभीर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
शिकायतकर्ता का सवाल है कि वृक्षों की कटाई में संलिप्त बिल्डर मोहनलाल गोयल, उमेश अग्रवाल, पीयूष अग्रवाल और अन्य लोगों के खिलाफ उत्तर प्रदेश वन संरक्षण अधिनियम 1976 की धारा 04/10 के तहत मुकदमा दर्ज क्यों नहीं किया गया?
कुछ दिन पहले शकुंतला नगर, गढ़ी भदौरिया स्थित बुद्ध पार्क में भी एक हरा-भरा बरगद का पेड़ काटा गया था। उस मामले में कई लोग शामिल थे, लेकिन वन विभाग ने सिर्फ दो लोगों पर मुकदमा दर्ज कर खानापूर्ति कर दी।
शिकायतकर्ता के मुताबिक, सालों पुराने वृक्षों को आखिर क्यों काटा गया? क्या इन वृक्षों से बिल्डरों को कोई नुकसान था, या फिर यह किसी बड़े निर्माण कार्य की योजना का हिस्सा है? इतना ही नहीं, कटे हुए वृक्षों के निशान मिटाने के लिए कॉलोनी के पार्क में ट्रैक्टर चलवा दिया गया।
जहां एक तरफ सरकार “हर घर वृक्ष” जैसी मुहिम चला रही है और वृक्ष कटाई पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दे रही है, वहीं दूसरी ओर बिल्डर खुलेआम हरे-भरे वृक्षों की कटाई कर इस मुहिम को चुनौती दे रहे हैं।
गौरतलब है कि तीनों बिल्डरों पर पहले से ही कई मुकदमे दर्ज हैं। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या वन विभाग बिल्डरों और अन्य दोषियों पर कोई ठोस कार्रवाई करेगा या फिर यह मामला भी फाइलों में दफन हो जाएगा?
अगर वन विभाग ने शिकायतकर्ता की शिकायत पर तत्काल संज्ञान लिया होता, तो शायद इन वृक्षों को काटने से बचाया जा सकता था। लेकिन विभाग की लापरवाही से हरे-भरे वृक्षों की कटाई जारी है। अब देखना होगा कि क्या सरकार ऐसे लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई करेगी या फिर यह मामला भी अनदेखा रह जाएगा।