चंडीगढ़। पंजाब के युवाओं पर विदेश में जाकर पढ़ने और वहां बसने का जुनून सवार है। पंजाब से हर साल एक लाख से ज्यादा युवा अपना वतन छोड़ कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूके के विभिन्न संस्थानों में पढ़ने के लिए चले जाते हैं। वर्तमान में यहां के कॉलेजों में 1.5 लाख विद्यार्थी पंजीकृत हैं। लोकसभा में विदेश राज्य मंत्री के जवाब के अनुसार साल 2016 से फरवरी 2021 के बीच 9.84 लाख लोग पंजाब और चंडीगढ़ से दूसरे देशों में चले गए। इनमें करीब चार लाख छात्र और छह लाख से अधिक श्रमिक थे। विशेषज्ञ बताते हैं कि पंजाब में बाहर जाकर पढ़ना और नौकरी करना अब एक स्टेटस सिंबल बन चुका है। पहले सिर्फ अमीर घर के लोग बाहर जाते थे। पिछले चार-पांच सालों में गरीब घरों के बच्चों में बाहर जाने का क्रेज देखा जा रहा है। मकसद सिर्फ एक ही होता है कि विदेश में जाकर स्थायी निवासी बनना और बाकी जिंदगी आराम से गुजारना।
पंजाब से हर साल फीस के रूप में विदेश में जा रहे 15 हजार करोड़ विदेशों में पढ़ाई का एक छात्र पर औसतन 15 से 22 लाख रुपये वार्षिक खर्च आता है, जिसमें खाने-पीने व कमरे का किराया शामिल है। एक छात्र पर औसतन 15 लाख भी खर्च मान लिया जाए तो पंजाब से हर साल 15 हजार करोड़ रुपये बतौर फीस बाहर भेजी जा रही है। विदेशों में पढ़ाई की ललक छात्रों में इस कदर है कि सितंबर से शुरू होने वाले सत्र के लिए अभिभावकों ने अभी से मशक्कत शुरू कर दी है। कॉलेज की सीटों को अभी से रिजर्व कराने की कोशिशें चल रही हैं। युवाओं के पलायन की वजह से पंजाब के कुछ गांवों में सिर्फ बुजुर्ग ही बचे हैं। बड़े मकान वीरान पड़े हैं। गलियों कूचों में सन्नाटा पसरा रहता है।