18 वर्ष से कम आयु की पत्नी से संबंध बनाने पर पति को न सिर्फ दुष्कर्म बल्कि बाल यौन उत्पीड़न रोक कानून (पाक्सो) और बाल विवाह निरोधक कानून के तहत भी मुकदमे का सामना करना पड़ सकता है।ऐसा मामला महाराष्ट्र में हुआ है जिसमें नाबालिग पत्नी से दुष्कर्म का आरोपित जमानत के लिए चक्कर लगा रहा है, लेकिन बांबे हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए उसे अग्रिम जमानत देने से इन्कार कर दिया। 2017 में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह संभवत: पहला ऐसा मामला है।
कानून में अपवाद को लेकर छूट
आइपीसी की धारा-375 का अपवाद (2) पत्नी से दुष्कर्म के अपराध से छूट देता है। इसके मुताबिक यदि कोई अपनी पत्नी से संबंध बनाता है और पत्नी की आयु 15 वर्ष से कम नहीं है तो वह दुष्कर्म नहीं माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने 11 अक्टूबर, 2017 को इंडिपेंडेंट थाट बनाम भारत सरकार मामले में दिए फैसले में बाल विवाह पर चिंता जताते हुए इस अपवाद को पुनर्परिभाषित किया था। आइपीसी के इस उपबंध की अन्य कानूनों जैसे बाल विवाह रोक कानून और पाक्सो के साथ विसंगतियों को देखते हुए इसे उनके समरूप करते हुए नई व्यवस्था दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने तीन साल बढ़ाया उम्र का दायरा
सुप्रीम कोर्ट ने पत्नी से दुष्कर्म में अपवाद के प्रविधान में दी गई पत्नी की उम्र 15 वर्ष के बजाय 18 वर्ष कर दी थी। बांबे हाई कोर्ट ने 12 अप्रैल को दिए आदेश में कहा कि कानून को अब उसी तरह लिया जाना चाहिए जैसी सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है। हाई कोर्ट ने पति की अर्जी खारिज करते हुए कहा कि वह यह नहीं कह सकता कि उसकी शिकायतकर्ता (पत्नी) से शादी हुई है और उसने संबंध बनाने का विरोध नहीं किया था। हाई कोर्ट ने बाल विवाह पर चिंता जताते हुए कहा कि शादी तय करते समय कुछ जानकारियां जरूर ली जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने 2017 के फैसले में कहा था कि 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की से संबंध बनाना दुष्कर्म है, इससे फर्क नहीं पड़ता कि वह विवाहित है या अविवाहित। आइपीसी की धारा-375 के अपवाद (2) में विवाहित और अविवाहित लड़की के बीच अनावश्यक बनावटी भेद पैदा किया गया है। ये भेद मनमाना व भेदभावपूर्ण है और निश्चित तौर पर बालिकाओं के हित में नहीं है।
क्या है मामला
यह मामला तब सामने आया जब नाबालिग लड़की ने बच्चे को जन्म दिया। अस्पताल में लड़की ने अपनी उम्र 17 वर्ष बताई, तब एफआइआर दर्ज हुई। एफआइआर में पत्नी ही सूचनाकर्ता है। पति पर आइपीसी की धारा-376 में दुष्कर्म के अलावा बाल विवाह निरोधक कानून और पाक्सो में आरोप हैं। पति की ओर से दलील थी कि उसे पत्नी के नाबालिग होने की जानकारी नहीं थी। पत्नी के साथ उसके अच्छे संबंध है और कभी उसे प्रताड़ित नहीं किया गया। पत्नी ने कहा कि अगर पति को अग्रिम जमानत दी जाती है तो उसे आपत्ति नहीं होगी। लेकिन सरकारी वकील ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देकर जमानत का जोरदार विरोध किया था।