हरदोई में बौद्ध समुदाय ने बिहार के सीएम को भेजा ज्ञापन, महाबोधि मंदिर का प्रबंधन पूर्णतः बौद्धों को सौंपने की मांग

हरदोई में बौद्ध समुदाय ने बिहार के सीएम को भेजा ज्ञापन, महाबोधि मंदिर का प्रबंधन पूर्णतः बौद्धों को सौंपने की मांग

हरदोई  /बिहार प्रदेश में स्थित व विश्व के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक ‘महाबोधि मंदिर’ के प्रबंधन का दायित्व पूर्ण रूप से बौद्ध समुदाय को सौंपने की मांग को लेकर अब उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले से भी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ज्ञापन दिया गया है। हरदोई डीएम के माध्यम से जनपद के समस्त बौद्ध व बहुजन संगठनों के द्वारा संयुक्त रूप से बिहार सरकार को भेजे गए ज्ञापन में BT act 1949 को समाप्त करने व विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित महाबोधि महाबिहार, बोधगया(बिहार) का प्रबंधन पूर्णतः बौद्धों को सौंपे जाने की मांग की गई है।

ज्ञापन में बताया गया कि बुद्ध को बुद्धत्व(बोधिज्ञान) बिहार प्रान्त के बोधगया जिले में आज से लगभग 2500 वर्ष पूर्व प्राप्त हुआ था। सम्राट अशोक महान ने भी अपने शासनकाल में तथागत बुद्ध के धर्म उपदेश 84000 शिलालेखों पर लिखाये थे तथा बोधगया में स्थित महाबोधि महाबिहार का निर्माण कराया था। वहीं चीनी यात्री फाह्यान ने भी अपने भारत भ्रमण के दौरान बोधगया की खोज में उसे बुद्ध का संबोधि स्थल होने की घोषणा की थी जिसका वर्णन भी उनकी पुस्तकों में मिलता है। बुद्ध को बुद्धत्व प्राप्ति के कारण ही गया जिले का नाम बोधगया पड़ा था। यहां पर पूरी दुनिया के बौद्ध धर्माबलम्बी प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में आते हैं जिससे बिहार व केंद्र सरकार को पर्यटन से अच्छा-खासा राजस्व भी प्राप्त होता है। महाबिहार विश्व धरोहर स्थलों की सूची में भी सम्मिलित है, उक्त महाबोधि महाबिहार, बोधगया(बिहार) का प्रबन्धन BT act 1949 के चलते तत्कालीन बिहार सरकार ने गैर बौद्ध लोगों को सौंप रखा है, जहाँ पर गैर बौद्ध लोग अवैध तरीके से तथा अन्य रूपों में पूजा-उपासना कर रहे हैं जोकि संवैधानिक रूप तथा नैसर्गिक न्याय के तहत पूर्णतया गलत व अविधिक है। ज्ञापन में बौद्ध भिक्षुओं ने मांग उठाई कि उक्त महाबोधि महाबिहार का प्रबंधन पूर्ण रूप से बौद्धों को दिया जाय। ज्ञापन में यह भी बताया गया है वर्तमान में वहां लागू BT act 1949 जिसमें मात्र 4 बौद्ध तथा 5 गैर बौद्ध(अन्य धर्म के लोग) मैंनेजमेंट कमेटी में है, जो संविधान की प्रस्तावना व अनुच्छेद 25 व 20 का उल्लंघन करता है। इसलिए ऐसे संविधान विरोधी BT act 1949 को रद्द करके भारत की अमूल्य विश्व धरोहर महाबोधि महाविहार(बोधिस्थल) का प्रबन्धन पूर्णरूप से बौद्धों को दिया जाय।

बौद्ध समुदाय के लोगों का मानना है कि BT act 1949 देश के संविधान की प्रस्तावना के विरुद्ध है। बौद्ध भिक्षुओं ने कहा कि हमारे देश की प्रस्तावना में हम भारत के लोग ‘भारत को सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न व समाजवादी, पंथ निरपेक्ष, लोकतन्त्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतन्त्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बन्धुता को बढ़ाने के लिए’ दृढ़ संकल्पित है इसलिए इस आधार पर उक्त BT act 1949 निरस्त किये जाने योग्य है। बौद्ध समुदाय के लोगों ने यह भी बताया कि उक्त महाबोधि महाबिहार की मुक्ति के लिए आज 17 दिन से पूरी दुनिया के हजारों बौद्ध भिक्षुगण आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं जिनका स्वास्थ्य लगातार गिरता जा रहा है। यदि जल्द ही इस संबंध में कोई संतोषजनक निर्णय नहीं लिया गया तो शीघ्र ही कोई अनहोनी हो जाने की भी प्रबल संभावना बनी हुई है।

ज्ञापन में हरदोई के समस्त बौद्ध भिक्षुओं व बहुजन संगठनों ने विनम्रतापूर्वक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आग्रह किया है कि मानवीय संवेदना को दृष्टिगत रखते हुए हम बौद्ध भिक्षुओं/बौद्धों की धार्मिक विश्व धरोहर ‘महाबोधि महाबिहार’ व हमारे संवैधानिक अधिकारों पर अतिक्रमण करने वाले BT act 1949 को रद्द करते हुए बौद्धों की विरासत बौद्धों को ही सौंपी जाए, इसके लिए सम्पूर्ण बौद्ध समुदाय सदैव आपका आभारी रहेगा। ज्ञापन देने के अवसर पर अखिल भारतीय कुशवाहा समाज के हरदोई जिलाध्यक्ष व एडवोकेट छविराम कुशवाहा, एडवोकेट सुरेश कुशवाहा, सत्यकुमार, राजवीर, सतीराम सहित बौद्ध समुदाय व कई बहुजन संगठनों के प्रमुख लोग मौजूद रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

नमस्कार,नैमिष टुडे न्यूज़पेपर में आपका स्वागत है,यहाँ आपको हमेसा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे 9415969423 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें