
पौराणिक 84 कोसीय परिक्रमा मे धूम धाम के साथ प्रथम बार शामिल होंगे व्यास पीठाधीश
नैमिषारण्य/ आनंद तिवारी
88 हजार ऋषियों पावन पवित्र भूमि पर
विश्व की सबसे प्राचीनतम नैमिष की 84 कोशिका परिक्रमा 1 मार्च से शुरू होने वाली है परिक्रमा में इस बार वेदव्यास धाम से व्यास पीठाधीश अनिल कुमार शास्त्री परिक्रमा में शामिल होंगे। साथ देश व विदेश के अनेकों श्रद्धालु भी परिक्रमा में शामिल होंगे। व्यास पीठाधीश के साथ तीन बड़े-बड़े रथ भी चलेंगें एक रथ में भगवान राम सीता लक्ष्मण और हनुमान जी तो दूसरे में महर्षि दधीचि। और तीसरे में भगवान वेदव्यास के साथ व्यास पीठाधीश विराजमान होकर परिक्रमा करेंगे। व्यास पीठाधीश के प्रतिनिधि रंजीत शास्त्री ने बताया कि आदिकाल से चली आ रही नैमिष की पौराणिक 84 कोसीय परिक्रमा में यह पहली बार है जब वेदव्यास धाम से विकास पीठाधीश विश्व विख्यात कथा व्यास अनिल कुमार शास्त्री परिक्रमा में शामिल हो रहे हैं उनके शामिल होने का मात्र एक उद्देश्य नैमिष की 84 कोसी परिक्रमा को विश्व पटल पर पहचान दिलाने का है। विकास धाम से परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं के लिए हर पड़ाव पर रुकने के लिए स्विस कॉटेज लगाए गए हैं। भोजन पानी व बिजली की भी व्यवस्था आश्रम की तरफ से की जाएगी। जिसकी सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं। उन्होंने बताया कि हैदराबाद गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश सहित कई प्रति के श्रद्धालु परिक्रमा में व्यास आश्रम की तरफ से शामिल हो रहे हैं आगामी 1 मार्च को प्रातः 4:00 बजे गाजे बाजे के साथ में नैमिषारण्य की पौराणिक परिक्रमा का आगाज होगा जिसमें साधु संत महंत व गृहस्थ लाखों की संख्या में शामिल होंगे,