कछौना, हरदोई। वन रेंज कछौना के अंतर्गत सोमवार को कोथावां के पास एक सड़क किनारे शिकार पक्षी (बाज की एक दुर्लभ प्रजाति) घायल अवस्था में पड़ा होने की सूचना वन विभाग टीम को मिली। जिस पर वन क्षेत्राधिकारी कछौना विनय कुमार सिंह अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचकर घायल पक्षी का रेस्क्यू कर वन रेंज कार्यालय लाया गया, जहां पर डॉक्टर की टीम ने प्रथम उपचार किया। वन क्षेत्राधिकारी ने बताया घायल का इलाज किया गया है, पक्षी पूरी तरह से स्वस्थ हो जाने के बाद उसे उसके प्राकृतिक वातावरण (आवास) में छोड़ दिया जाएगा। यह पक्षी अत्यंत बुद्धिमान, साहसी, धैर्यशाली, बहादुर पक्षी है, जो इंसानों से भी लड़ सकता है तथा मोर चकोर कौवे तक को मार सकता है। इसको प्रशिक्षित करना आसान होता है, इसलिए कुछ लोग इनको पलते हैं, जो गैरकानूनी है। पशु पक्षियों का मनुष्य जीवन में काफी योगदान होता है। आकाश में उड़ने वाली पक्षियां धरती पर मानव जीवन के लिए प्रदूषण और अन्य कई तरह के खतरे पहुंचाने वाले कीड़ों का शिकार करती हैं। जिससे मानव जीवन की सुरक्षा होती है। बहुत से पक्षी कीड़े-मकोड़ों को खाकर पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में सहयोग करते रहते हैं। इससे हमारा पर्यावरण सन्तुलित रहता है। इसके साथ ही पक्षी फलों को खाकर उनके बीजों का प्रकीर्णन करते हैं। इस प्रकार पक्षी पेड़-पौधे के उगने तथा उनकी वृद्धि करने में भी सहायक होते हैं।बढ़ते तापमान, बदलती वनस्पति और चरम मौसम की स्थिति पक्षियों के आवश्यक आवासों में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाती है। लेकिन आवास की हानि और गिरावट उनके संरक्षण के लिए सबसे गंभीर खतरा है। शहरी फैलाव और परिवहन नेटवर्क ने पक्षियों के आवासों को खंडित और कम कर दिया है। गहन कृषि, वानिकी और कीटनाशकों के उपयोग ने उनके भोजन की आपूर्ति, आराम करने के स्थान और घोंसले के आवास को कम कर दिया है। कई मामलों में ये पक्षी आबादी में गिरावट और प्रवास पैटर्न में बदलाव के संभावित कारण हैं। जिसके चलते पक्षियों का जीवन संकट में है। वहीं कई पक्षियों की प्रजाति विलुप्त हो चुकी हैं। जो पक्षियों के साथ-साथ मानव जीवन व पर्यावरण के लिए भी खतरा हैं।