“धन्य है वो माॅं जिनकी पावन गोद मे डाॅ नीलिमा पाण्डेय जैसी युग नायिका लालित्य पाती है।।”
यज्ञ कुमार पाण्डेय “यज्ञ”
सांगीपुर, प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश।
‘धनक नीलिमा’ काव्यसंग्रह।।
एक ऐसा साहित्यिक रथ है जो साहित्य का तीर्थ कराने की क्षमता से युक्त है ,, मैंने अपने जीवन में आज की मंचीय अभिलाषा से छुद्धृत, तृषित कथित साहित्यकारों को भी सुना जाना,कुछ सरस्वती के वरद्पुत्रों ,जिनकी लेखनी से साहित्य प्रवाह निरन्तर हुआ उनको भी पढ़ा सुना।।
लेकिन आज के सांस्कृतिक संक्रमण के युग में उस पर भी मुम्बई जैसी आधुनिक चकाचौंध की राजधानी में रहकर, बहन डाॅ नीलिमा पांडे ,, ने जो साहित्यिक बीजारोपण किया है, वैसा,आज के हिंदी जगत में अति दुर्लभ है।जिन,जिन शब्दों का प्रयोग धनक नीलिमा काव्यसंग्रह में किया गया है वो विलुप्त प्राय हो चुके हैं उनको अपनी रचनाओं में पिरो कर आप ने उन्हें पुनः नवजीवन देने का प्रयास किया है,, प्रत्येक रचनाओं में जो मौलिकता है वह आधुनिक आडम्बर से रिक्त होते हुए भी, अपनी परिपक्वता का बोध कराती हैं,,, धन्य है वो माॅं जिनकी पावन गोद मे नीलिमा,, जैसी युग नायिका लालित्य पाती है।।
एक बार पुनः आपको,,’धनक नीलिमा’ काव्यसंग्रह,, साहित्य सुरभि के लिए बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं,,बहन।।
,,,,यज्ञ कुमार पाण्डेय ़यज्ञ ़
कोषाध्यक्ष स्वतन्त्र कवि मण्डल,(रजि*1927)
सांगीपुर, प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश