*मुस्लिम,यादव और दलित बिगाड़ सकतें हैं गणित*

 

महमूदाबाद सीतापुर (अनुज कुमार जैन)
लोकसभा चुनाव यूं तो पूरे देश में अपनें शबाब पर है लेकिन देश की प्रत्येक सीट के अपनें-अपनें समीकरण हैं,
विधानसभा और लोकसभा चुनावों में मुस्लिम मतदाताओं का रूख किस दल की तरफ रहेगा ये सभी रणनीतिकारों, राजनैतिक विश्लेशकों के लिए कौतूहल का विषय रहता आया है, ऐसा ही कुछ हाल सीतापुर लोकसभा क्षेत्र का भी है, यहां का मुस्लिम मतदाता यदि कांग्रेस के साथ अपना विस्वास रखता है तो कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में परम्परागत कोई जातिगत मतदाता बड़ी संख्या में नहीं है क्योंकि कांग्रेस का परम्परागत मतदाता दलित, अति पिछड़े, एवं अधिकांश उच्च वर्ग अब कहीं और शिफ्ट हो चुकें है ऐसे में दो लाख पचास हजार मुस्लिम मतदाता अगर 100% कांग्रेस के साथ चले भी जाएं तो और प्रत्याशी की जाति के मतों को जोड़कर एवं उन्य वर्गों की वोट मिलाकर कुल अधिकतम तीन लाख पचहत्तर हजार से चार लाख मतों के आसपास का आंकड़ा ही छूता हुआ दिखाई देता है,
जबकि यदि मुस्लिम मतदाता बसपा प्रत्याशी महेन्द्र यादव के पक्ष में जाता है तो प्रत्याशी की जाति के लगभग 1.50000 मत एवं 2.5000 मुस्लिम मतदाता व 200000(दो लाख दलित, अति पिछड़ा) मत हासिल करके सत्तारूढ दल के उम्मीदवार को कड़ी टक्कर दे सकतें हैं साथ ही सत्तारूढ दल के सांसद एवं वर्तमान में उम्मीदवार राजेश वर्मा से असंतुष्ट मतदाता भी ऐसे उम्मीदवार के साथ जा सकतें हैं जो मौजूदा सांसद को कड़ी टक्कर देता हुआ दिखाई देगा,
उम्मीदवार महेन्द्र यादव चूंकि पूर्व में भाजपा से विधायक रहें हैं इसलिए उनसे व्यक्तिगत जुड़े लोग जो कि भले ही भाजपा की विचारधारा के हों वह भी साथ जा सकतें हैं,

सीतापुर लोकसभा सीट के लिए चुनाव में करीब सत्रह लाख मतदाता भाग लेंगे, लेकिन मतदाताओं में चुनावों को लेकर गिरता क्रेज तस्वीर क्लीयर नहीं होनें दे रहें हैं ऐसे में यदि 60% या इससे कम मतदान हुआ तो इस सीट पर त्रिकोणीय संघर्ष होता देखा जा सकता है।

उधर सत्तारूढ दल के उम्मीदवार एवं वर्तमान सांसद व उनके समर्थक जीत के विस्वास से लबरेज देखे जा सकतें हैं और उनका इस बार का स्लोगन है कि अबकी बार चार लाख पार(विजयी आंकड़ा)
अब मतदाता किस पर अपना विस्वास दिखाता है यह तो 4 जून को मतगणना के बाद पता चलेगा परन्तु इतना तय माना जाना चाहिए कि संभवत: इस सीट पर त्रिकोणीय संघर्ष जरुर देखनें को मिलेगा,

हालांकि राजेश वर्मा यदि मुस्लिम मतदाताओं को तितर-बितर कर सकनें में सफल रहे तो विपक्ष के दोनों उम्मीदवारों में से किसी एक को एक से डेढ लाख मतों से संतोष करना पड़ सकता है लेकिन वहीं यदि यादव, दलित, मुस्लिम बसपा के साथ मजबूती से खड़ा हुआ तो परिणाम चौकानें वाले भी हो सकते हैं…

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