बिसवां /सीतापुर उप्र के सीतापुर जिले के बिसवां नगर में नगर पालिका के निकट 64 वर्ष पुराने भवन की चार दीवारी की पूरब की दीवार के यथा स्थान पुनर्निर्माण के दौरान दबंगों ने अपने साजिश को सफल बनाने के लिए फर्जी शिकायत पड़ोस में स्थित मंदिर के कब्जा करने की कर दी,जबकि मौके पर मंदिर की किसी भी दीवार पर कोई भी निर्माण कार्य नहीं किया जा रहा था और मंदिर से मौजूद पुनर्निर्माण दीवार का कोई संबंध नहीं है, भवन स्वामी केदारी लाल वर्मा सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य जनता इंटर कॉलेज के निवास भवन का निर्माण अनेको वर्ष 64 पूर्व यथा स्थिति में यथा स्थान बना हुआ है जिसमें 18 वर्ष पूर्व वैधानिक विधिवत सरकारी प्रक्रिया के तहत भवन स्वामित्व अधिकार प्राप्त किया था जिसकी चौहद्दी में तीन तरफ मार्ग व एक तरफ सोमदत्त शुक्ला का घर बना हुआ उसी चौहद्दी के अंदर मंदिर का निर्माण निज में बना हुआ है जो कि भवन के अंदर होने के कारण बाद में किनारे कार्नर कोने पर स्थापित स्थानांतरित भवन स्वामी ने ही किया था, सभी लोग स्वेच्छा से बिना वाद विवाद के पूजा कार्य समय समय पर करते है लेकिन कुछ आपराधिक व दबंग प्रवृत्ति के लोगों ने पूजा की छूट का नाजायज लाभ लेते हुए मंदिर भवन व भूमि व अतिरिक्त कमरे की अनुचित मांग रंगदारी के रूप में करने लगे,जिसपर सफलता न मिलने पर फर्जी शिकायत करके ब्लैकमेल करने का प्रयास किया जा रहा है, भवन स्वामी के विगत 18 वर्ष पूर्व इस भवन को तहसील कार्यालय में विधिवत सारी प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद स्वामित्व अधिकार प्राप्त किया था, जिसमें स्पष्ट उल्लेखित हैं कि मौके पर की वर्तमान चौहद्दी स्पष्ट है और उसके अंदर अन्य किसी का कोई भी अधिकार हस्तक्षेप नहीं है लेकिन रंगदारी गैंग जबरन वसूली करने के लिए भांति भांति के हथकंडे अपना रहा है, इस मामले में पीड़ित पक्ष ने जब उपजिलाधिकारी बिसवां से मिला और अपने मामले की जानकारी दी और बताया कि मौके पर शिकायत गलत तरीके से की गई हैं जो कि निराधार फर्जी बेबुनियाद है और हम अपनी 64 वर्ष पुरानी दीवार का यथा स्थान पुनर्निर्माण करवा रहे है और हम किसी भी प्रकार का कोई अतिक्रमण नही कर रहे है और हमारा गेट भी सड़क से चार फुट दूर भवन के अंदर ही बना है, इस पर रोकथाम करने वाले लोगों की जानकारी उपजिलाधिकारी ने की तो मौके पर गए हुए नायब तहसीलदार ने उपजिलाधिकारी के समक्ष निर्माण कार्य रोक लगाने से मुकर गए, जबकि उपजिलाधिकारी बिसवां को संबोधित शिकायत पत्र में तहसीलदार द्वारा मौके पर जाँच कर समाधान करने के लिए राजस्व निरीक्षक व अधिशासी अधिकारी नगर पालिका को लिखा गया था,मौके पर जाँच पड़ताल करने का सरकारी जिम्मेदारी तहसील प्रशासन की है, लेकिन दंबग शिकायत कर्ताओं रंगदारी मांगने वाले गैंग ने जबरन पीड़ित वयोवृद्ध के घर में घुसकर नापजोख जाँच पड़ताल स्वयं करने लगे, आखिर यह सब करने का अधिकार व अनुमति किसने दी है? कि किसी के निजी आवास में जबरन घुस कर गुंडागर्दी करो,क्या ऐसे रंगदारी गैंग के विरुद्ध पुलिस व तहसील प्रशासन कोई कार्यवाही करेगा? लेकिन मौके पर गलत शिकायत पाए जाने के बाबजूद भी परेशान करने के उद्देश्य से व अनुचित वसूली के उद्देश्य को पोषण करने के लिए वैधानिक 64 वर्ष पुरानी दीवार का निर्माण कार्य रुकवा दिया गया,क्या मंदिर पर दावा करके कब्जा करने वाले लोगों से पुलिस विभाग, राजस्व विभाग व नगर पालिका प्रशासन ने कोई साक्ष्य प्रमाण प्राप्त किया है जिससे स्पष्ट हो सके कि मंदिर का स्वामित्व व भूमि पर शिकायत कर्ताओं का अधिकार है और पुनर्निर्माण दीवार पर भी मंदिर का अधिकार है यदि कोई अधिकार नहीं है और कोई साक्ष्य प्रमाण नहीं है तो इससे स्पष्ट होता हैं कि पीड़ित वयोवृद्ध वरिष्ठ सज्जन नागरिक को जबरन परेशान करके रंगदारी वसूली करने में सारे लोग सम्मिलित है और भृष्टाचारियो के द्वारा पद व विभागीय शक्तियों का दुरप्रयोग किया जा रहा है, वर्तमान समय तक आरोपी पक्ष कोई भी साक्ष्य स्वामित्व के प्रस्तुत नहीं कर पाए और न ही कोई भी लिखित आदेश रोकथाम के लिए जारी किया गया है लेकिन फिर भी निर्माण कार्य से जबरन रोका गया है,और जाँच के नाम पर पुलिस उप निरीक्षक मंजीत कुमार ने पीड़ित पक्ष भवन स्वामी केदारी लाल वर्मा व उनके लड़के से सादे कागज पर हस्ताक्षर करवा कर मनमानी कार्यवाही पूर्ण कर दिया,जबकि उपलब्ध साक्ष्यों व विधिक प्रमाण 64 वर्ष पुरानी बिल्डिंग के पुलिस उपनिरीक्षक मंजीत ने अनदेखी कर दिया है और मौके पर सही सलामत यथास्थिति मंदिर को भी नजरअंदाज कर दिया, जोकि पक्षपाती कार्यवाही है, जोकि सरकार की स्वच्छ छवि को खराब किया जा रहा है, और तहसील प्रशासन की कार्यशैली पर प्रश्रचिन्ह लगाता है, पीड़ित पक्ष ने अपने शिकायत पत्र के माध्यम से त्वरित न्याय की मांग की है और सुनवाई नहीं होने आमरण अनशन जारी किए जाने की सूचना दी है जिसकी जिम्मेदार प्रशासन होगा!