ईडी ईवीएम के बीच जनता के मूल मुद्दे से भटका विपक्ष

 

प्रयागराज

लोकसभा इलैक्शन के पहले राउंड की वोटिंग में अब कुछ ही दिन बाकी है परंतु भारतीय जनता पार्टी से लड़ने के लिए विपक्ष ने जो रणनीति बनाई है उससे लगता ही नही की वो मोदी को हराना चाहते हैं। विपक्ष ने अभी तक कोई ठोस मुद्दा जनता के सामने नही रखा है विपक्ष की मुद्दे आम जनता के मुख्य मूल मुद्दों से दूर दूर तक मेल खाते नही दिखते, जहाँ एक तरफ जनता महंगाई बेरोजगारी पेपर लीक भर्ती की अव्यवस्थाएं जैसे तमाम महत्वपूर्ण मुद्दों से जूझ रही है वही विपक्षी पार्टियां ईडी ईवीएम और आईटी को चुनाव का मुद्दा बनाने में परेशान हैं जबकि इन मुद्दे से आम जनता को कोई खास मतलब नही होता । अभी तक अधिकतर विपक्षी पार्टियां भ्रष्टाचार और एलेक्टोराल बॉन्ड को ही मुद्दा बनाने में लगे रहे उनका आम जनमानस की मूल जरूरतों को चुनाव का मुद्दा बनाने से कोई सरोकार ही नहीं दिखाई दे रहा था, जबकि पेपर लीक आदि मुद्दे पे जनता अपनी लड़ाई स्वयं जितना लड़ पा रही है लड़ रही है पर विपक्ष उसमें अपनी भूमिका से कोसों दूर दिख रहा है यदाकदा अगर कहीं वो जनता से जुड़ने का प्रयास करते हैं तो कुछ ऐसा सामने आ जाता है कि वो पुनः जनता के मुद्दे को छोड़ फिर उसी राह चल पड़ते हैं जिस पर मोदी उनको लाने चाहते हैं । कभी कभी तो ऐसा प्रतीत होने लगता है कि जिस प्रकार से भारतीय जनता पार्टी चाह रही है विपक्ष उसी तरह की राजनीति कर रहा है या यूं कह सकते हैं कि विपक्ष भाजपा की ही बनाई पिच पर बैटिंग कर रहा है ।
परंतु अब राहुल गांधी और तेजस्वी जैसे नेता मजबूती से रोजगार और महंगाई को मुद्दा बना के रैलियाँ करने लगे हैं । काँग्रेस के घोषणा पत्र में बहोत सारी वादे महंगाई और रोजगार के संबंध में किए तो हैं लेकिन अपनी बातों को जनता तक पहुचाने सफल नही हो प रहे हैं वही बीजेपी और मोदी समझ गए हैं की विपक्ष एकजुट होके एक ही मुद्दे पे चुनाव प्रचार नही कर प रहा है इसीलिए बीजेपी ने भी अपना प्रचार भरष्टाचार आदि मुद्दो से हटा कर राम मंदिर पे केन्द्रित कर दिया है । विपक्ष भले ही एलेक्टोराल बॉन्ड के खुलासे के बाद भरष्टाचार के मुद्दे पे बीजेपी को घेरने की कोशिश कर रहा है, और कुछ हद तक उसको सफलता भी मिली है लेकिन फिर भी विपक्ष मोदी की इमेज को कोई भी नुकसान नही पहुचा पाया है ।
अगर आप किसी उत्तर प्रदेश के आम आदमी के चुनावी के मुद्दे पूछते हैं तो वो महंगाई, रोजगार के साथ साथ राम मंदिर निर्माण को भी एक मुद्दा बताता है, बीजेपी तो अपनी रैलियो में राम मंदिर का ज़िक्र ज़ोर शोर से कर रही है लेकिन यहा की मुख्य विपक्षी पार्टी सपा अभी तक अपने वादे और मुद्दे दोनों जनता तक नही पाहुचा पायी है । काँग्रेस और सपा को ज़रूरत है की अपनी एक नियुनतम साझा घोसणा पत्र बनाए और मजबूती से साथ उसका प्रचार करें । विपक्ष अगर महंगाई और रोजगार को मुद्दा बना के मजबूती से चनाव लड़ता है तो शायद वो कुछ हद तक बीजेपी का नुकसान कर सकता है लेकिन बीजेपी में मोदी और योगी की छवि को तोड़ना शायद असंभव नही तो बहोत मुश्किल तो है ही ।

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