
सीतापुर मुख्यमंत्री उ0प्र0 शासन श्री योगी आदित्यनाथ जी ने नैमिषारण्य स्थित श्री स्कन्दाश्रम में आयोजित श्री श्री श्री जगदम्बा राज राजेश्वरी स्थापना, प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव एवं नूतन देवालय के चित् शक्ति द्वार (प्रमुख द्वार) के उद्घाटन महोत्सव में प्रतिभाग किया। उन्होंने मंदिर में पूजन अर्चन किया। इसके उपरान्त आयोजित कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्जवलित कर किया गया। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये मा0 मुख्यमंत्री उ0प्र0 श्री योगी आदित्यनाथ जी ने उन सभी संतों के चरणों को प्रमाण करते हुये कहा कि जिन लोगों ने अत्यधिक पवित्र भावना के साथ इतने दूर स्थल पर भी संसाधनों के अभाव में भी प्राचीन अरण्य संस्कृति को पूनर्स्थापित करते हुये इस राज राजेश्वरी आश्रम और देवी के भव्य विग्रह को स्थापित करने में अपना योगदान दिया है, वह निश्चय ही प्रशंसनीय है। उन्होंने नैमिषारण्य की पावन धरा पर श्री श्री राज राजेश्वरी मंदिर के इस भव्य धार्मिक आयोजन में सहभागी बनने का अवसर प्राप्त होने पर सभी पूज्य संतों का हृदय से आभार भी व्यक्त किया।
मा0 मुख्यमंत्री जी ने नैमिषारण्य की महिमा का विस्तारपूर्वक वर्णन करते हुये कहा कि नैमिषारण्य की महिमा अपरम्पार है। सभी धार्मिक ग्रंथो ने बड़े श्रद्धाभाव के साथ इस पावन तीर्थ की महिमा का गान किया है। संत तुलसीदास जी के ग्रन्थ श्री रामचरितमानस की एक चौपाई तीरथ वर नैमिष विख्याता, अति पुनीत साधक सिद्धि दाता के माध्यम से भी नैमिषारण्य की महिमा का गान किया है। सूत जी ने इसी स्थल पर हजारों वर्ष पहले 18 पुराणों को सुनक आदि ऋषियों को सुनाया था। भगवान वेद व्यास जी के नेतृत्व एवं सानिध्य में हजारों ऋषियों ने यहा साधना की थी। यहां की व्यासपीठ इसके लिये विख्यात है। 88000 ऋषियों ने इसी स्थल पर इसी क्षेत्र में साधना करके भारत की ज्ञान विज्ञान की पूरी धरोहर को वैदिक ज्ञान के रूप में लिपिबद्ध करके हम सबको उपलब्ध करवाया था एवं एक विरासत के रूप में हम सबको दिया था। देवासुर संग्राम में महर्षि दधीचि ने अपनी अस्थिदान इसी स्थल पर किया था। मॉ ललिता देवी मंदिर शक्तिपीठ एवं चक्रतीर्थ के इतिहास के विषय में भी उन्होंने बताया।
मा0 मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज इस कड़ी को जोड़ते हुए पूज्य स्वामी षड्मुखानंद पुरी जी महाराज ने यहां पर राज राजेश्वरी मंदिर और आश्रम की स्थापना करके इस कड़ी को एक नई ऊंचाइयां प्रदान करने का कार्य किया है। जिसके लिये उनका हृदय से अभिनंदन एवं स्वागत भी किया। धार्मिक आयोजन हम सबको सदमार्ग पर चलने की प्रेरणा प्रदान करते हैं। हमारा शास्त्र तो यह कहता है कि धर्मेण हिना पशुभिः समाना यानी धर्म से हीन व्यक्ति और पशु में कोई भी अंतर नहीं है। धर्म केवल उपासना विधि नहीं है, धर्म जो हमको अच्छे मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। धर्म वह एक शाश्वत व्यवस्था है जिस शाश्वत व्यवस्था के माध्यम से हम लोग अनुशासन का पाठ पढ़ते हैं, सदाचार का पाठ पढ़ाते हैं, कर्तव्य का पाठ पढ़ाते हैं। इनसे जुड़े जो नैतिक मूल्य है कर्तव्य से, सदाचार से इनका जो समन्वय है वही वास्तव में धर्म है जो हमेशा शाश्वत रहता है। पंथ और संप्रदाय आएंगे जायेंगे, उपासन विधियां आयेंगी जायेंगी, लेकिन धर्म हमेशा शाश्वत रहता है, सनातन रहता है। इसलिए हम कहते हैं सनातन धर्म इस सृष्टि का धर्म है, मानवता का धर्म है। जब तक सनातन धर्म है विश्व मानवता के कल्याण का मार्ग व प्रशस्त करता रहेगा। अगर सनातन धर्म पर खतरा आएगा तो विश्व मानवता पर खतरा आयेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि विश्व मानवता को बचाना है तो सनातन धर्म को बचाना होगा।
मा0 मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सनातन धर्म का मूल यज्ञ है। यह ऋषि मुनियों की साधना है जो साधना कई वर्षों तक पवित्र नर्मदा नदी के तट पर साधनारत रहकर पूज्य स्वामी श्री षड्मुखानंद पुरी जी महाराज ने साधना की एवं साधना का प्रसाद सिद्ध के रूप में राज राजेश्वरी आश्रम और मंदिर के रूप में हम सबके सामने यहां पर इस रूप में देखने को मिल रहा है। एक नई कड़ी और एक नई मणी इस नैमिष क्षेत्र के विकास में जुड़ने जा रही है। देश की व्यवस्था को, समाज की व्यवस्था को एवं लोक की व्यवस्था को लोकाचार की ओर ले जाने के लिए, लोक कल्याण के पथ पर उन्मुख करने के लिए जिस देवी का अनुष्ठान करते हैं वह जगत जगदंबा राजराजेश्वरी है। जो सबको नियंत्रित करके सन्मार्ग पर ले चलने की प्रेरणा प्रदान करती है और उनकी स्थापना का कार्य निर्मित क्षेत्र में हुआ है। आप सब जानते हैं कि नैमिष तीर्थ के महत्व को ध्यान में रखकर के ही सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। खासतौर पर इसको तीर्थ के रूप में विकसित करने की कार्यवाही आज चल रही है एवं कार्य युद्ध स्तर पर प्रारम्भ हुआ है।
मा0 मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत की इस विरासत को एक नया स्वरूप प्रदान करने के लिए मा0 प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में जो कार्य देश के अंदर प्रारंभ थे, अद्भुत हैं। काशी में काशी विश्वनाथ धाम को जिस रूप में एक भव्य स्वरूप दिया गया है, पहले काशी में संकरी गलियों में जाने के लिए हर कोई मजबूर होता था, आज एक भव्य धाम आपके पास है। उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर में तो महाकाल का महालोक देखने को मिलेगा। इसी प्रकार उत्तराखंड में केदारपुरी और बद्रीनाथ धाम में भी पुनरुद्धार का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में पांच सदियों के बाद यह अवसर आया है जब कोटि-कोटि सनातन धर्मावलम्बियों को यह अवसर प्राप्त हुूआ है। भगवान राम की जो मर्यादा थी उसी मर्यादा का पालन करते हुए, न्यायालय के फैसले का पालन करते हुए भारतवासियों ने जिस संयम का परिचय दिया जो दुनिया के लिए अनोखा उदाहरण है। उन्होंने कहा कि हम लोग सौभाग्यशाली है कि हमनें रामलला को विराजमान होते हुए देखा है एवं सक्रिय रूप से सहभागी बनने का अवसर हमें प्राप्त हो रहा है।
मा0 मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हम सभी को इन अच्छे कार्यों से प्रेरणा लेनी चाहिये। हम सब देश के लोक कल्याण के लिये आगे आकर कार्य करें। समाज और सरकार जब मिलकर के एक साथ आगे बढ़ती है तो उसकी उन्नति कई गुना बढ़ जाती है। समाज और सरकार को साथ-साथ मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है। नैमिषारण्य अपने पुरातन वैभव को प्राप्त हो। यह धर्म के हित के साथ-साथ अर्थ के हित में भी है। यदि यहां का पुरातन वैभव पुनर्स्थापित हो जाता है, हजारों लोगों को रोजगार की सुविधा प्राप्त होंगी और युवाओं को नौकरी एवं रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे, जिस प्रकार अयोध्या में प्राप्त हुये हैं एवं व्यापार कई गुना बढ़ गया है।
मा0 मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अच्छे कार्य से सभी को लाभ होता है। समाज का हर तबका उसे लाभान्वित होता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण के लिये प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में चल रहे अभियान में हम सब अपने देश के बारे में सोचें। सभी देश के लिये कार्य करें। देश हमारे लिये पहले है। हम सब इस दृष्टिकोण के साथ कार्य करें कि मेरी साधना देश हित के लिये है एवं मेरा वैभव देशहित के लिये है। सभी भारतवासी इस प्रकार के भावना के साथ कार्य करना प्रारंभ कर देगें तो भारत को दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बनने से कोई नही रोक सकता।
कार्यक्रम को श्रीश्रीश्री षण्डमुखानंद पुरी जी महाराज हीरापुर वाले एवं मा0 अध्यक्ष म0प्र0 विधानसभा नरेन्द्र सिंह तोमर ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर पूज्य संतगण, संबंधित अधिकारी बड़ी संख्या में जनसामान्य उपस्थित रहा।