भारत अब अनुसरण नहीं नेतृत्व करने की ओर बढ़ा
आओ जनसंख्यकिय स्थिति को संपदा सृजित करने वाले संसाधन में बदलें
भारत अब भविष्य की प्रौद्योगिकी , निर्वहनियता और प्रतिस्पर्धात्मकता में जनसंख्यकिय लाभांश पर फोकस कर स्वस्थ और कुशल बनाने पर लगा – एडवोकेट किशन भावनानी