ठंड में क‍िसानों के ल‍िए आफत बने छुट्टा पशु, फसल बचाने के ल‍िए सर्द रातों में कर रहे रखवाली

ठंड में क‍िसानों के ल‍िए आफत बने छुट्टा पशु, फसल बचाने के ल‍िए सर्द रातों में कर रहे रखवाली।

सवाददाता सुधीर कुमार मिश्रा

पहलासीतापुर।भीषण ठंड में किसानों को यह चिंता खाए जा रही है कि अगर फसलों की रखवाली नही करेंगे तो छुट्टा जानवर उनकी फसलें बर्बाद कर देंगे. फिर उनके बच्चों को भूखे मरने की नौबत आ जाएगी. ऐसे में 5 डिग्री तापमान में भी उन्हें भीषण ठंड की परवाह किए बिना खेतों की रखवाली के लिए मजबूर होना पड़ रहा

पहला क्षेत्र के माहरिया गद्दीपुर में रात में खेतों की रखवाली करते किसान ठंड में छुट्टा जानवरों से फसल बचाने के लिए रात-रात भर जागने के लिए मजबूर हैं. इन किसानों को रातभर जाग कर अपनी फसलों की रखवाली करनी पड़ती है ताकि पशु चरें नहीं, बर्बाद नहीं करें. किसानों का कहना है कि इस ठंड में भी उन्हें रातभर जागना पड़ता है क्योंकि पलक झपकते ही खेतों पर छुट्टा जानवर हमला कर देते हैं. इसलिए किसानों के सामने फसलों को बचाने के लिए रात भर जागने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है.

 

 

किसानों की समस्या

पहला क्षेत्र में इस वक़्त कोहरे के साथ ही गलन भरी ठंड है और पारा चार, पांच डिग्री के आसपास है. इसकी वजह से लोग घरों से नहीं निकल रहे हैं. लेकिन किसान इन हालात में भी रात-दिन अपने खेतों की रखवाली करने में लगा है. किसान को लगता है कि अगर रबी की फसल में नुकसान हुआ तो फिर पूरा साल एक-एक दाने के लिए मोहताज होना पड़ेगा. ऐसे में किसान अपना या अपने बच्चों का पेट कैसे भरेंगे.

किसान प्रकाश कहते हैं, की में कई गौशाला क्षेत्र में संचालित है लेकिन गद्दीपुर महारिया का किसान रबीकी फसल के लिए दुश्मन छुट्टा जानवर मुसीबत बन जाते हैं, तो किसान को मजबूरन विपरीत परिस्थितयों में खेतों की रखवाली करनी पड़ती है। इन गांवों में इस वक्त किसान रात-रात भर खेतों की रखवाली करने में लगा है.

 

बेपरवाह प्रशासन

रबी फसल की बुआई से पहले ही आदेश हुआ था कि जानवरों को गौशाला में बंद करा दिया जाए. लेकिन इस इलाके में अभी भी हजारों की तादाद में छुट्टा जानवर हैं, जिनसे किसान आजिज आ चुका है. इन किसानों के पास खेतों की रखवाली के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है.

 

एक किसान ने कहा कि शिकायत के बाद भी किसी ने इस समस्या का कोई समाधान नहीं निकाला. रात भर जगना पड़ता है और ठंड में खेतों की रखवाली करनी पड़ती है. सरकार ने प्रधानों से छुट्टा जानवरों को बंधवाने का निर्देश दिया है, लेकिन प्रधान अपने गांव के जानवरों को बांध देते हैं और दूसरे गांव के जानवरों को छोड़ देते हैं. अख्बई के इस किसान की 150 बीघा खेत में फसलें लगी हैं जिनकी रखवानी उसे रात भर करनी पड़ रही है.

पढ़ने वालो बच्चो ने बताया की समस्या अभी फसलों को बचाने की है. अभी पढ़ाई-लिखाई छोड़कर रात-दिन फसलों को ताकना पड़ता है. फसलें न देखें तो 250-300 छुट्टा जानवर हैं जो फसलों को नष्ट कर देंगे या चर जाएंगे. अभी पढ़ाई का काम छोड़कर खेतों की रखवाली का काम चल रहा है.

 

क्या कहते हैं किसान ।एक अन्य किसान ने आपबीती सुनाते हुए कहा कि रवि कीखेती की गई है जिसे अभी बचाने पर ही पूरा ध्यान लगा है जानवरों ने पूरी फसल चौपट कर दी थी, इसलिए उपज नहीं निकल पाई. गेहूं, मटर, चना और मसूर जैसी फसलें लगाई थीं, लेकिन छुट्टा जानवरों ने सब नुकसान कर दिया. किसान का कहना है कि या तो वह अपनी जान दे दे या अपनी जमीन बेच दे, तभी इन जानवरों से छुटकारा मिल पाएगा.

 

एक किसान केदारनाथ प्रजापति का कहना है कि वे रात-रात भर भीषण ठंड में भी फसलों की रखवाली करते हैं. अगर न करें तो छुट्टा जानवर फसलें चर जाएंगे. फिर जो कुछ उपज मिलनी है, वह भी नहीं मिलेगी. उनके बाल-बच्चे भूखे मरने की नौबत आ जाएगी. यह समस्या एक साल की नहीं है बल्कि हर साल ऐसे ही रात-रात भर जागकर फसलों की रखवाली करनी होती है. जो कुछ फसल होती है, उसकी रखवाली में रातभर लकड़ी जलाकर जागना होता है.

 

जहां सरकार के आदेश के बाद भूसे और चारे का बंदोबस्त करना प्रशासन की ज़िम्मेदारी है. इसके बाद भी यहां बड़ी तादाद में छुट्टा जानवर हैं. इन जानवरों से किसान परेशान है. किसान इस भीषण सर्दी में रात-रात भर जाग कर अपने खेतों की रखवाली करने में लगा है. किसानों को लगता है कि अगर यह फसल हाथ से गई तो साल भर तक अपना या अपने बच्चों का पेट पालना मुश्किल हो जायेगा

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