अटल बिहारी वाजपेई स्मृति शेष:आओ मन की गांठें खोलें

*अटल बिहारी वाजपेई स्मृति शेष:आओ मन की गांठें खोलें,,,*

 

जौनपुर/ अरुण कुमार दूबे

 

 

माननीय परम् पूज्य स्वगीर्य अटल बिहारी वाजपेई राज नेता के साथ ही एक पत्रकार कवि और बेहतरीन वक्ता भी रहे। उन्होंने कई बार सार्वजनिक मंच पर अपनी कविताएं भी परी भी और लोगों ने उन कविताओं को सराहा उनकी कविताओं में जीवन के संवेदनशील पक्षों को अभिव्यक्ति मिली अटल जी की कविताओं में उनके जीवन और राजनीतिक दर्शन के गंभीर पुट है।

उन्होंने निजी जिंदगी से लेकर राजनीतिक घटनाक्रमों पर बड़े ही दार्शनिक अंदाज में अपने अनुभूतियों को काव्यात्मक अभिव्यक्ति दी राजनीतिक घटनाक्रमों के संदर्भ में उनकी कविताएं उनके गहरे चिंतन और राजनीतिक विचारों, आदर्शों से परिचित कराती है।

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