
सीतापुर महमूदाबाद, कर्बला की शहादत की याद में किला महमूदाबाद से निकला जुलूस-ए-आशूरा
प्रो. अली खान ने की इलाक़े और मुल्क के लिए दुआ, रात में हुई मजलिस-ए-शामे ग़रीबां
अनुज कुमार जैन
महमूदाबाद (सीतापुर), 10 मोहर्रम 1447 हिजरी / 6 जुलाई 2025:
कर्बला की ऐतिहासिक त्रासदी की याद में आज किला महमूदाबाद से पारंपरिक जुलूस-ए-आशूरा दिन में 12 बजे वक्फ महाराजा साहब के तत्वावधान में शाही साज-सज्जा के साथ निकाला गया। यह जुलूस इस्लाम के पैग़म्बर हज़रत मोहम्मद साहब के नवासे हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम, उनके परिजनों और 72 साथियों की कुर्बानी को याद करते हुए हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी बड़े श्रद्धा भाव के साथ आयोजित किया गया।
जुलूस में ऊंट, अलम, दुलदुल, ताबूत और ताज़िया विशेष आकर्षण का केंद्र रहे। भारी संख्या में अकीदतमंद काले गमगीन परिधान में शामिल हुए। विभिन्न मोहल्लों जैसे रमवापुर, शाहजनी, इन्दोरा, शेरापुर, पैगंबरपुर और भट्ठा से ताजियादार अपने-अपने ताज़िये लेकर ढोल-बाजों के साथ “या हुसैन” की सदाओं के बीच शामिल हुए।
जुलूस की क़यादत स्वयं प्रोफेसर अली खान राजा महमूदाबाद ने की। शहनाई पर मातमी नग़मे और नौहे बजते रहे, वहीं अंजुमन हैदरी, अंजुमन सज्जदिया और अंजुमन अब्बासिया के सदस्य रास्ते भर मातम और नौहा-ख़्वानी करते रहे। पूरा माहौल ग़म और अकीदत से सराबोर रहा।
बाल्मीकि समाज के ताजियादार भी ऊँचे अलम लेकर कर्बला मार्ग से कर्बला तक पहुंचे। लगभग शाम 5 बजे सभी ताजिए सदाए “या हुसैन” के साथ कर्बला में दफ़न किए गए, जहाँ प्रो. अली खान ने क्षेत्र और देश की सलामती के लिए विशेष दुआ की और जुलूस का समापन हुआ।
इसी क्रम में रात्रि 8 बजे किला महमूदाबाद में मजलिस-ए-शामे ग़रीबां आयोजित हुई। चाँदनी रात में किले से ताबूत बरामद होकर मध्यरात्रि में कर्बला पहुँचा और परंपरानुसार दफ़न किया गया।
पूरे आयोजन को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने में प्रशासन सक्रिय रूप से जुलूस के साथ मौजूद रहा, जिससे कहीं कोई व्यवधान नहीं हुआ और व्यवस्था अनुशासित बनी रही।