राजा जयचंद के किले पर कब्जा कर, बना लिए सैकड़ों अवैध मकान

राजा जयचंद के किले पर कब्जा कर, बना लिए सैकड़ों अवैध मकान

हिमांशु द्विवेदी नैमिष टुडे
कन्नौज। राजा जयचंद के ऐतिहासिक किले की भूमि पर कब्जा कर लोगों के सैकड़ों मकान बन गए हैं। पिछले 14 साल से अवैध कब्जे हटाने की प्रक्रिया हर बार ठंडे बस्ते में चली जाती है। इसका कब्जेदार फायदा उठाकर उस पर निर्माण भी कर रहे हैं। यहां तक कि जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) ने भी कई प्रधानमंत्री आवास भी बनवा लिए हैं। राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) भी कुछ नहीं कर पा रहा है। शहर के उत्तरी छोर पर राजा जयचंद का किला है, जाे खंडहर होकर अब टीले में तब्दील हो चुका है। वर्ष 2010 में किले को संरक्षित करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के उपमंडल कार्यालय की स्थापना की गई। इसके बाद एएसआई ने वर्ष 2011 में किले की भूमि की पैमाइश कराई और उसका सीमांकन कर उसे संरक्षित कर दिया था। इसके बाद भी किले की संरक्षित भूमि पर लोगों के कब्जे का सिलसिला जारी रहा। कई लोगों ने मकान बना लिए और वह इसमें आराम से रह रहे हैं तो कई लोगों ने कुटीर उद्योग भी शुरू कर दिए हैं। राजनीतिक हस्तक्षेप से एएसआई किले को कब्जामुक्त कराने में विफल रहा। इसके बाद दोबारा शिकायत की गई तो एक अगस्त 2017 को तत्कालीन एसडीएम सदर अरुण कुमार सिंह ने किले की भूमि की पैमाइश कराई। इसमें 14 एकड़ में किले की भूमि को माप कर कब्जेदारों को खाली करने का नोटिस भी दिया गया। पैमाइश में चार एकड़ भूमि पर अवैध कब्जा पाया गया था। एएसएआई ने उस पर कई जगह बेरिकेडिंग कर नोटिस बोर्ड भी लगाए। कब्जेदारों और अराजकतत्वों ने बेरिकेडिंग तोड़ दी और नोटिस बोर्ड भी गायब कर दिए। अब स्थिति यह है कि जिला नगरीय विकास अभिकरण के माध्यम से कई लोगों ने प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ लेकर इस अवैध कब्जे की भूमि पर मकान बना लिए हैं। अपर जिलाधिकारी आशीष कुमार सिंह का कहना है कि राजा जयचंद का किला संरक्षित स्मारक है। उसे कब्जामुक्त कराने के लिए राजस्व व पुलिस की एक संयुक्त टीम का गठन किया जाएगा और शासन के नियमानुसार कब्जामुक्त कराने के लिए अभियान चलाया जाएगा। जल्द ही एएसआई के अधिकारियों के साथ बैठक कर रणनीति तैयार की जाएगी।
84 अवैध कब्जेदारों को किया गया था चिह्नित किले की संरक्षित भूमि के आसपास 550 परिवार रह रहे हैं, जिनमें अधिकांश मजदूर या छोटे कारोबारी हैं। प्रशासन ने जब किले की भूमि का सीमांकन किया था, तब 84 अवैध मकान मिले थे, जिन पर नोटिस भी चस्पा किया गया था। इसके बाद भी किसी ने कब्जा नहीं हटाया और राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण प्रशासन की कार्रवाई भी ठंडे बस्ते में चली गई। एएसआई भी इस मामले में अब तक कुछ नहीं कर पाई, जो मकान प्रधानमंत्री आवास योजना से बनाए गए हैं, वह भी प्रशासन नहीं हटवा सकता है क्योंकि वह मकान तो सरकार ने ही बनवाए हैं।

एएसआई का हवाला देकर पालिका झाड़ लेती पल्ला

किला नगर पालिका के अंतर्गत आता है, जहां नगर पालिका के सफाई कर्मी जाते हैं तो पानी की भी सप्लाई है। पालिका इनसे हाउस टैक्स और वाटर टैक्स भी वसूल रही है। इस संबंध में नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी श्यामेंद्र मोहन चौधरी का कहना है कि हाउस टैक्स या वॉटर टैक्स देने से मालिकाना हक नहीं हो जाता है। किले को कब्जामुक्त करने में एएसआई को पहल करना चाहिए, जिसमें पालिका पूरा सहयोग करेगी।

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