शिव भगवान के अवैध पेट्रोल पंप पर चला क़ानूनी चाबुक
सीतापुर, उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में एक बार फिर प्रशासनिक मशीनरी सक्रिय हुई है, जब ग्राम अटरिया में स्थापित एक पेट्रोल पंप पर अवैध कब्जे के आरोप सामने आए। शिव भगवान द्वारा गाटा संख्या 377 पर पेट्रोल पंप का निर्माण कराया गया था, जबकि उनकी लीज गाटा संख्या 378 पर थी। मामले ने प्रशासन से लेकर स्थानीय किसानों तक को प्रभावित किया है। इस संदर्भ में जिला मजिस्ट्रेट सीतापुर द्वारा अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) को निरस्त करने का आदेश जारी किया गया है, जो इस विवाद को और गंभीर बना देता है पेट्रोल पंप का विवाद और प्रशासन की कार्रवाई यह मामला तब उजागर हुआ जब श्री चन्द्रिका प्रसाद रावत, राम अवतार, रामलाल और अन्य पट्टेदारों ने मिलकर प्रशासन से गाटा संख्या 377 पर हो रहे अवैध निर्माण के खिलाफ शिकायत की। शिकायतकर्ताओं का कहना था कि शिव भगवान ने अपनी दबंगई और राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए गाटा संख्या 377 पर पेट्रोल पंप का निर्माण करा लिया, जबकि उन्हें गाटा संख्या 378 पर पेट्रोल पंप स्थापित करने की अनुमति दी गई थी। इसके बाद प्रशासन ने मामले की गहनता से जांच की और पाया कि गाटा संख्या 377 पर अवैध कब्जा किया गया था इस विवाद के बाद उप जिलाधिकारी सिधौली ने 23 जून 2007 को एक नोटिस जारी किया, जिसमें अवैध कब्जा हटाने का आदेश दिया गया। इसके बावजूद शिव भगवान ने जवाब में अपने कब्जे को सही बताया और उसे छोड़ने से इंकार कर दिया। इसके बाद और भी जांचें हुईं और यह साबित हुआ कि पेट्रोल पंप गाटा संख्या 377 पर अवैध रूप से स्थापित किया गया था
राजनितिक रसूक वाला है शिव भगवान शिव भगवान एक प्रभावशाली नेता हैं और उनकी पकड़ कांग्रेस पार्टी में काफी मजबूत मानी जाती है। यही कारण था कि स्थानीय प्रशासन ने भी इस मामले में दबाव महसूस किया। शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि शिव भगवान और उनके परिवार ने स्थानीय प्रशासन और पुलिस पर दबाव डाला और कार्रवाई को अंजाम नहीं लेने दिया। इसके अलावा, शिव भगवान पर आरोप है कि उन्होंने सूबे के मुख्यमंत्री के खिलाफ सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं, जिसके बाद उसके खिलाफ कार्रवाई भी की गई थी काम आया किसानों का संघर्ष ग्राम अटरिया के किसान, जिनकी भूमि गाटा संख्या 377 में आवंटित की गई थी, लंबे समय से इस अवैध कब्जे का विरोध कर रहे थे। किसानों ने कई बार प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन उनके प्रयासों का कोई ठोस परिणाम नहीं निकला। किसानों का कहना था कि यह कब्जा न केवल उनकी भूमि के अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति पर भी प्रतिकूल असर डाल रहा है किसानों के अनुसार, शिव भगवान और उनके परिवार ने उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी थी और झूठे मुकदमों में फंसाने का प्रयास किया था। इस प्रकार के दबाव और धमकियों के बावजूद किसान अपने अधिकारों के लिए लड़ते रहे शिव भगवान पर कानून की टेढ़ी नज़र प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया और मामले की जांच शुरू की। उप जिलाधिकारी सिधौली ने 02 सितम्बर 2024 को रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि गाटा संख्या 377 पर अवैध कब्जा था और पेट्रोल पंप का निर्माण बिना उचित अनुमति के किया गया था। इसके बाद, जिला मजिस्ट्रेट ने कार्रवाई करते हुए 14 नवम्बर 2024 को अनापत्ति प्रमाणपत्र को निरस्त करने का आदेश दिया इस आदेश में यह भी कहा गया कि शिव भगवान द्वारा गाटा संख्या 378 के स्थान पर गाटा संख्या 377 पर पेट्रोल पंप का निर्माण किया गया था। जिला मजिस्ट्रेट ने यह निर्णय लिया कि शिव भगवान के पेट्रोल पंप (शिव भगवान फिलिंग स्टेशन, भारत पेट्रोलियम) को निर्गत अनापत्ति प्रमाणपत्र की शर्तों का पालन न करने के कारण निरस्त किया जाए भारत पेट्रोलियम ने भी शिव भगवान पर दर्ज करवाई थी शिकायत भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड ने शुरू में गाटा संख्या 378 पर पेट्रोल पंप लगाने के लिए शिव भगवान को लीज दी थी। लेकिन बाद में यह मामला सामने आया कि पेट्रोल पंप का निर्माण गाटा संख्या 377 पर किया गया था। इसके बाद, भारत पेट्रोलियम द्वारा शिव भगवान के खिलाफ एक प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई थी। हालांकि, शिव भगवान ने इस आरोप से इंकार किया और न्यायालय में अपनी बात रखी मामले की गंभीरता को देखते हुए भारत पेट्रोलियम ने भी प्रशासन से जांच की मांग की और इस मामले में कानूनी कार्रवाई का आश्वासन दिया। इसके बावजूद, विवाद के समाधान के लिए इसने समय-समय पर सरकारी अधिकारियों को पत्र भेजे, लेकिन प्रशासनिक दबाव के कारण कई बार समय सीमा बढ़ाई गई प्रशासन ने भी कसा था शिव भगवान पर शिकंजा मामले के समाधान के लिए प्रशासन ने कई कानूनी कदम उठाए। पहले तो उप जिलाधिकारी सिधौली ने गाटा संख्या 377 की पैमाइश कराई और पुष्टि की कि पेट्रोल पंप का निर्माण उसी भूमि पर किया गया था, न कि गाटा संख्या 378 पर। इसके बाद, शिव भगवान और भारत पेट्रोलियम के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। बाद में मामले को न्यायालय में लाया गया और उप जिलाधिकारी सिधौली के न्यायालय द्वारा 26 दिसंबर 2013 को आदेश दिया गया कि पट्टेदारों को कब्जा दिलवाया जाए अब तक चली लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद, 14 नवम्बर 2024 को जिला मजिस्ट्रेट सीतापुर ने शिव भगवान के पेट्रोल पंप के लिए जारी अनापत्ति प्रमाणपत्र को निरस्त कर दिया है। इस निर्णय से किसानों को राहत मिली है और अब वे उम्मीद कर रहे हैं कि प्रशासन के इस कदम से उनके अधिकारों की रक्षा होगी इस मामले ने यह साबित कर दिया है कि अगर प्रशासन सही समय पर कार्रवाई करे, तो किसी भी अवैध कब्जे या निर्माण को रोका जा सकता है। साथ ही, यह भी दर्शाता है कि कानून और प्रशासनिक मशीनरी का कार्य स्थानीय दबंगों और प्रभावशाली व्यक्तियों के खिलाफ भी कड़ा होना चाहिए क्या काम आई सीएम की जीरो टॉलरेंस निति सीतापुर के अटरिया ग्राम का पेट्रोल पंप विवाद इस बात का स्पष्ट उदाहरण है कि अगर स्थानीय प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभाए और जनता की शिकायतों को गंभीरता से ले, तो कोई भी व्यक्ति या संस्था अवैध कब्जे और निर्माण के खिलाफ न्याय प्राप्त कर सकती है। इस पूरे मामले में प्रशासन ने अपनी भूमिका निभाई, लेकिन यह भी दर्शाता है कि राजनीति और दबंगई के प्रभाव को पार करना कितना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इस केस में किसानों और पीड़ितों ने अपनी न्याय की लड़ाई लड़ी और अंततः उन्हें सफलता मिली किसानों का संघर्ष और प्रशासन की त्वरित कार्रवाई यह सुनिश्चित करती है कि कानून का शासन कायम रहे और किसी को भी अवैध रूप से किसी की भूमि पर कब्जा करने का अधिकार नहीं हो।