
सरदार वल्लभभाई पटेल को लौह पुरुष की उपाधि- साकेंद्र प्रताप वर्मा
संवाददाता दिलीप त्रिपाठी
महमूदाबाद, सीतापुर
देश ने सरदार वल्लभ भाई पटेल को लौह पुरुष की उपाधि ऐसे ही नहीं दी थी। उन्होंने देश की आजादी के बाद के भारत को एकता के सूत्र में पिरोने के लिए कई अवसरों पर साहसिक निर्णय लेते हुए भविष्य के लिए नासूर बनने वाले कई ज्वलंत मुद्दों को अपनी सूझ-बूझ के साथ जड़ से समाप्त करने का काम किया। उनके प्रेरणादायक कार्य व दिखाए गए मार्ग पर देश लगातार अग्रसर हो रहा है। अपने जीवन में उनके विचारों को आत्मसात कर देश भक्ति की भावना जागृत करनी होगी तभी हम सच्चे नागरिक बन सकेंगे।
उक्त बातें सीता ग्रुप आफ एजूकेशन के शास्त्री सभागार में देश के प्रथम गृहमंत्री, भारत रत्न, लौह पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयन्ती के पूर्व दिवस पर आयोजित ‘पटेल के सपनों का भारत‘ विषयक विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए विधानसभा कुर्सी के विधायक साकेंद्र प्रताप वर्मा ने कही। उन्होंने कहा कि देश विभाजन में महमूदाबाद की भूमिका भी रही। ऐसे में हम लोगों को चिंतन करने की आवश्यकता है। आजादी मिलने के बाद एक अल्प समय में सरदार पटेल ने देश का एकीकरण करने में जो भूमिका निभाई उसे देखकर सम्पूर्ण विश्व अचंभित रह गया था। हैदराबाद की रियासत को जिन्ना पाक में मिलाने की ताक में थे किंतु सरदार पटेल ने सूझबूझ के साथ सेना की मदद से हैदराबाद निजाम को पटकनी ही देते हुए उसका विलय भारत में कराया था। पटेल जी ने देश को एकीकृत करते हुए उसे एकता के सूत्र में पिरोने का कार्य किया। उनके कार्यों को याद कर हमें समाज के हितों को सर्वाेपरि रखने की प्रेरणा मिलती है। गोष्ठी को सम्बोधित करते हुये कालेज के प्रधानाचार्य आरके वाजपेयी ने सरदार वल्लभ भाई पटेल के जीवन पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के पश्चात सरदार पटेल उप प्रधानमंत्री के साथ प्रथम गृह, सूचना तथा रियासत विभाग के मंत्री थे। सरदार पटेल की कड़ी मेहनत के कारण ही 562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलीनीकरण कर अखंड भारत का निर्माण किया। विश्व के इतिहास में आज तक ऐसा व्यक्ति नहीं हुआ है जिसने इतनी बड़ी संख्या में राज्यों का एकीकरण करने का साहस किया हो। सरदार पटेल यदि न होते तो आज देश कितने भागों में बटा होता है इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती पटेल की सूझबूझ व उनके दृढ़ निश्चय से हम सबको प्रेरणा लेनी होगी। जिसके चलते भारत का यह स्वरूप आज हमें देखने को मिलता है। वल्लभ भाई पटेल को सन 1991 में मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मानित किया गया। गोष्ठी में जयपाल आर्य, आशुतोष वाजपेयी, डिप्टी मैनेजर अंाजनेय आशीष, वरिष्ठ शिक्षक अखिलेश दुबे, शंशाक शुक्ल, मोहिनी मिश्रा, यशपाल वर्मा व छात्रा कृति शुक्ला ने जागरण व प्रेरणा गीतों के माध्यम से राष्ट्रभक्ति जागृत की। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन, मां शारदे, मां भारती तथा सरदार पटेल के चित्रों पर माल्यार्पण के साथ हुआ। कार्यक्रम में विद्यार्थियों द्वारा देशभक्ति से ओतप्रोत भावनृत्य भी प्रस्तुत किया गया। अतिथियों का स्वागत स्मृति चिन्ह व सरदार वल्लभ भाई पटेल का चित्र भेंट कर किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि जिला संघचालक राजाराम यादव, पूर्व प्रधानाचार्य रामकुमार गिरि, पूर्व पालिकाध्यक्ष सुरेश वर्मा, कृतार्थ मिश्र, वरिष्ठ शिक्षक विनोद गुप्त, महाराज सिंह, सीपी तिवारी, जितेंद्र वर्मा, मनोज श्रीवास्तव, सुशील अवस्थी, देवेश मिश्र, आसाराम रस्तोगी, चक्रसुदर्शन पांडेय, अतुल चित्रांश, ज्ञानेश मिश्र, उमेश वर्मा, राहुल वाजपेयी, अमित राठौर, ज्ञान सागर गुप्त, अरविंद त्रिपाठी मुन्ना, नरेंद्र पांडेय, दिलीप मिश्र, अंकुर गिरि मार्कंडेय, विशाल गुप्त सहित कॉलेज के उप प्रधानाचार्य आरजे वर्मा, आदर्श जायसवाल, अवनीश अवस्थी, एसआर वर्मा सहित समस्त शिक्षक शिक्षिकायें व बड़ी संख्या में विद्यार्थी मौजूद रहे।