UP का ऐसा गांव जहां नहीं होता रावण वध और पुतला दहन, ब्राह्मण वंश का मानते हैं लोग

*UP का ऐसा गांव जहां नहीं होता रावण वध और पुतला दहन, ब्राह्मण वंश का मानते हैं लोग*

 

गांव के प्रवेश द्वार पर विराजमान हैं भगवान परशुराम जी मूर्ति

 

जौनपुर/ अरुण कुमार दूबे

जौनपुर के चौबाहां गांव में बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए प्रत्येक वर्ष रामलीला का मंचन तो होता है, लेकिन इस गांव में न तो रावण वध होता है और न ही उसका पुतला दहन करते हैं.

जौनपुर जिले में एक ऐसा भी गांव है, जहां पर बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए प्रत्येक वर्ष रामलीला का मंचन तो होता है, लेकिन इस गांव में न तो रावण वध होता है और न ही उसका पुतला दहन करते हैं. चौबाहां गांव के निवासी रावण को ब्राह्मण वंश का मानते हैं. गांव वालों का ऐसा करने का कारण है कि वो रावण को ब्राह्मण का वंश मानते हैं. इसलिए वो रावण का वध और पुतला दहन नहीं करते. चौबाहां गांव के ब्राह्मण भगवान श्री परशुराम को अपना आराध्य मानते हैं और गांव के प्रवेश द्वार पर श्री परशुराम की प्रतिमा भी स्थापित है.

बता दें, चौबाहां गांव में वर्ष 1962 से रामलीला का मंचन होता चला आ रहा है. गांव के ही एक सम्मानित व्यक्ति अर्जुन तिवारी ने गांव में श्री बजरंग रामलीला समिति की शुरुआत की थी. तब से निरंतर गांव में रामलीला का मंचन होता चला आ रहा है, लेकिन गांव वालों की इस तरह की मान्यता के चलते कभी भी रामलीला में रावण वध की लीला का मंचन नहीं हुआ और न ही विजयादशमी के दिन रावण का पुतला जलाया जाता है.

रावण को प्रकांड विद्वान मानते हैं लोग

चौबाहां निवासी पंडित अच्छेलाल तिवारी बताते हैं कि उनके गांव का कोई भी ब्राह्मण पुरोहित का कार्य नहीं करता और न ही किसी की मृत्यु के पश्चात भोज आदि में दान ग्रहण करता है. उनके गांव में 1962 से आजतक कभी भी रावण का पुतला नहीं जलाया गया है. गांव के ही एक युवा समाजसेवी विपिन तिवारी बताते हैं कि पूरे गांव वाले लंकापति रावण के ब्राह्मण कुल का होने के साथ ही साथ प्रकांड विद्वान होना मानते हैं. इसलिए गांव वाले स्वयं ब्राह्मण होकर एक ब्राह्मण और उसकी विद्वत्ता को देखते हुए लंकापति रावण का सम्मान करते हैं

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दूर-दराज से रामलीला देखने आते हैं लोग

हालांकि, विजयादशमी के दिन चौबाहां गांव में रावण का पुतला दहन बेशक नहीं होता, लेकिन गांव में नवरात्रि में बड़े मेले का आयोजन किया जाता है. मेले को देखने के लिए जौनपुर के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के दूर-दराज से लोग आकर विजयादशमी के मेले का लुफ्त लेते हैं।

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