विष्णु सिकरवार
आगरा। तीन दशक पूर्व कस्बा किरावली में तत्कालीन प्रदेश सरकार द्वारा क्षेत्रीय किसानों को कृषि का लाभ देने के उद्देश्य से कृषि प्रसार कार्यालय की स्थापना की थी।
किंतु उचित रख रखाव और प्रदेश सरकार की उपेक्षा के चलते कृषि प्रसार कार्यालय अब खंडहर के रूप में तब्दील हो गया है। भवन को दुर्दशा इस कदर खस्ता हाल हो चुकी है कि लोग अब इस भवन को भूत प्रसार कार्यालय कहने लगे हैं। कार्यालय संसाधनों का मोहताज है। विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा किए गए कथित भ्रष्टाचार रूपी दीमक विभाग को ही खोखला कर दिया है।
जानकारी के मुताबिक किरावली कस्बे में वर्ष 1996-97 के दौरान कृषि प्रसार कार्यालय की स्थापना को गई थी। विभाग को रियायती दर पर उननतिशील खाद, बोज कृषि यंत्र आदि वस्तुओं के वितरण कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। बताया गया है कि विभाग द्वारा किसानों को किफायती दरों पर कृषि यंत्र हैरो कल्टी वेटर आलू बुबाई मशीन कीटनाशक दवाईयां, स्प्रे मशीनें जैसी वस्तुएं किसानों को बेची जाती थीं। विभागीय सूत्रों की माने तो एक दशक तक कार्यालय अपने उद्देश्य में काफी कामयाब रहा था लेकिन कार्यालय में तैनात कृषि प्रसार अधिकारी केपी शर्मा के तबादले के बाद विभागीय कार्यालय पर संकट के बादल शुरू हो गए। सूत्रों की माने तो विभाग में कार्यरत अफसरों और कर्मचारियों ने कार्यालय के दीमक’ तरह खाखला कर दिया मौजूदा समय में कृषि प्रसार कार्यालय अत्यंत जर्जर अवस्था में है कार्यालय में कार्ययत अफसर, कर्मचारी यदाकदा ही ऑफिस में आते हैं। लोगों का कहना है कि कृषि प्रसार अधिकारी को तो कभी किसी ने देखा तक नहों है। एक विभागीय कर्मचारी ने बताया कि कार्यालय भवन गिरासू हालत में है कर्मचारियों के सिर पर हर समय मौत का साया मंडराता रहता है।
किसानों का कहना है कि कार्यालय में तैनात लिपिक गंभीर किस्म के भ्रष्टचार में लिप्त है कुछ ही साल के दौरान लिपिक मालामाल हो गया है। कार्यालय में किसानों को वितरण करने के लिए कोई वस्तु उपलब्ध नहीं हैं। किसानों ने प्रदेश की योगी सरकार से कृषि प्रसार कार्यालय में बड़े पैमाने पर किए गए भ्रष्टाचार की जांच कराए जाने की मांग की है।