श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का किया वर्णन

 

बेनीगंज/हरदोई_अहिरोरी ब्लाक के काईमऊ गांव में श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन कथा समापन पर श्री श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। वासुदेव बने स्थानीय ब्रजेश तिवारी जब नन्हें से कृष्णा को लेकर कथा प्रांगन में पहुंचें तो श्रोताओं में कृष्ण जी के दर्शन की ललक मानो अत्यंत प्यासा होने का संदेश दे रही हो। तत्पश्चात छठे दिन बृहस्पतिवार को भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया गया। इस मौके पर कथा वाचक अनमोल कृष्ण शास्त्री महाराज जी ने संगीतमय कथा वाचन कर भगवान की बाल लीलाओं के चरित्र का वर्णन किया। श्रोताओं से कहा कि लीला और क्रिया में अंतर होता है। अभिमान तथा सुखी रहने की इच्छा प्रक्रिया कहलाती है। इसे ना तो कर्तव्य का अभिमान है और ना ही सुखी रहने की इच्छा, बल्कि दूसरों को सुखी रखने की इच्छा को लीला कहते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने यही लीला की, जिससे समस्त गोकुलवासी सुखी और संपन्न थे। उन्होंने कहा कि माखन चोरी करने का आशय मन की चोरी से है। कन्हैया ने भक्तों के मन की चोरी की। उन्होंने तमाम बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए उपस्थित श्रोताओं को वात्सल्य प्रेम में सराबोर कर दिया। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण के जन्म लेने पर कंस उनकी मृत्यु के लिए राज्य की सबसे बलवान राक्षसी पूतना को भेजता है। राक्षसी पूतना भेष बदलकर भगवान कृष्ण को अपने स्तन से जहरीला दूध पिलाने का प्रयास करती है, परंतु भगवान उसका वध कर देते हैं। इसी प्रकार कार्तिक माह में ब्रजवासी भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए पूजन कार्यक्रम की तैयारी करते हैं, परंतु भगवान कृष्ण उनको इंद्र की पूजा करने से मना कर देते हैं और गोवर्धन की पूजा करने के लिए कहते हैं। यह बात सुनकर भगवान इंद्र नाराज हो जाते हैं और गोकुल को बहाने के लिए भारी वर्षा करते हैं। इसे देखकर समस्त ब्रजवासी परेशान हो जाते हैं। भारी वर्षा को देखकर भगवान कृष्ण कनिष्ठ अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर सभी लोगों को उसके नीचे छिपा लेते हैं। भगवान द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाकर लोगों को बचाने से इंद्र का घमंड चकनाचूर हो गया। मथुरा को कंस के आतंक से बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध किया। कथा के अंतिम दौर में सभी महिला पुरूष श्रद्धालुओं ने गिरिराज जी महाराज के दर्शन कर पूजा अर्चना की। इस मौके पर आचार्य करुणा शंकर त्रिवेदी अचार्य पंडित भगवन कृष्ण शास्त्री, हर्ष वर्धन सिंह, शिव कुमार तिवारी, राज कुमार तिवारी, चन्द्र कुमार तिवारी, रवींद्र कुमार तिवारी, पिंटू तिवारी, हरी प्रकाश तिवारी, इंजीनियर सिद्धांत तिवारी, निर्भय सिंह, कुलदीप त्रिपाठी, गौरव पांडे, विमलेश द्विवेदी, मनीष द्विवेदी, आदर्श द्विवेदी, अभिषेक तिवारी, अनुज तिवारी, अखिलेश द्विवेदी, रजनीश तिवारी, अंकित तिवारी, प्रसांत त्रिपाठी, शिवम तिवारी, सूरज तिवारी, सत्यम कुमार सहित हजारों महिला पुरुष श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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