धूप में मीटिंग होने के कारण अस्पताल की छत पर बेहोश हुईं आशा बहू

 

नैमिष टुडे
महमूदाबाद-सीतापुर।(अनुज कुमार जैन)
स्थानीय सरकारी अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड भगवान के भरोसे चल रहा है ।आपको पढ़ने में तो कुछ अटपटा सा लग रहा होंगा लेकिन ये बात सौ प्रतिशत सच है I महमूदाबाद स्थित सरकारी अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में रात के तीन बजे डाक्टर उपस्थित नही मिले । मरीजों के साथ परिजन जागते हुए दिखाई दिए । वही दूसरी ओर सरकारी अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड का एक कर्मचारी बेड पर ही सोते हुए दिखाई पडा । अब आप सोचिए कि अगर ये हालत इमरजेंसी वार्ड की है तो इस अस्पताल का और हाल क्या होगा।  ये सवाल आपको एक बार सोचने पे विवश कर देगा । क्योंकि जब रात के अंधेरे में किसी के प्रति कोई दुर्घटना घटित होती है तो परिजन मरीज को लेकर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड की ओर ही भागते है। जहां एक तरफ़ भाजपा सरकार के प्रदेश स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ये बात कहते हैं कि मरीजो के स्वास्थ को लेकर अगर किसी भी कर्मचारी या अधिकारी की कोई भी लापरवाही सामने आती है तो उसे किसी भी हाल में छोड़ा नही जाएगा और वही दूसरी और मंत्री जी द्वारा बनाए गए नियम को महमूदाबाद के सरकारी अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के कर्मचारी तार तार करते नज़र आ रहे है । जब इमरजेंसी वार्ड के कर्मचारी या डाक्टर मरीजों को ऐसी तकलीफ देंगे तो उस स्थिति में मरीजों का हाल बेहाल होना निश्चित है, क्योंकि डाक्टर को भगवान का दूसरा रुप माना जाता हैं और स्वास्थ्य मंत्री का आदेश भी है कि प्रदेश के हर एक अस्पताल में आने वाले मरीज की पूरी जानकारी हर रोज उन तक पहुंचाई जाय I वहीं दूसरी तरफ महमूदाबाद के महिला अस्पताल में आशा बहुओं की मीटिंग के दौरान तेज धूप के कारण एक आशा बहू अस्पताल की छत पर ही गिर कर बेहोश हो गई, इस संबंध में आशा बहुओं का आरोप है कि किसी भी बात को लेकर और मामूली सी बात को भी लेकर बार-बार सीएचसी अधीक्षक और बीसीपीएम उनको सस्पेंड करने की धमकी देते है ।उनका कहना है कि इतनी तेज़ धूप में तथा आस पास अस्पताल की छत पर जो गंदगी थी उसी जगह बैठाकर धूप में जो मीटिंग ली जा रही थी ।उसी के कारण मेरी साथी मृदुला आशा बहू अस्पताल की छत पर बेहोश होकर गिर पड़ी है । आशा बहू का यह भी आरोप है कि लगभग एक घंटा तक वह अस्पताल में ही घूमती रही, कोई भी डॉक्टर उन्हें वहां मौजूद नहीं मिला I थोड़ी देर के बाद आशा बहू को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया । आशा बहू ने बताया कि हमने लगभग अस्पताल के सभी डॉक्टरों के कमरे में जाकर आशा बहू की मदद की गुहार लगाई, लेकिन किसी भी डॉक्टर के द्वारा मदद नहीं की गई ।आशा बहू ने बताया कि कुछ समय पहले धरने पर बैठने के कारण उनके साथ सीएचसी अधीक्षक द्वारा उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जा रहा है  उनका यह भी कहना है कि अगर अगली बार किसी भी मीटिंग में उन्हें मीटिंग हाल में बुलाकर मीटिंग नहीं की जाती है तो वह रोड पर बैठकर मीटिंग देंगी । इसके जिम्मेदार सीएचसी अधीक्षक होंगे । उन्होंने ने आरोप लगाया कि सरकार तो उनके लिए उचित व्यवस्थाये प्रदान करती है लेकिन हमारे अधिकारी हमें ही वे व्यवस्थाये उपलब्ध नहीं कराते हैं ।
इस मामले में अधीक्षक ने बताया कि इमरजेंसी वार्ड में कर्मचारी क्यों नहीं हो सकता बट बेड इसीलिए वहां डलवाया गया कि जब वहां पर कोई मरीज न हो तो वह सो सकता है डॉक्टर ऑन कॉल आते हैं फार्मासिस्ट वहां उपस्थित रहते है, उन्होंने यह भी बताया कि फोन पर वर्जन नहीं दिया जाता वर्जन सामने आकर ऑफिस में ले लीजिए ।आशा बहू का आरोप नहीं है क्योंकि मैं वहां खुद उपस्थित था ट्रेनिंग हाल के अंदर हो रही है क्योंकि मैं वहां खुद उपस्थित था ट्रेनिंग हाल के अंदर हो रही है ।महिला डॉक्टर भी वहा उपस्थित थीं ।

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