
महोली-सीतापुर मुफलिसी की जिन्दगी जी रहे एक दिव्यांग दम्पति पर जहां एक ओर सरकारी अमला बेपरवाह बना हुआ है। वहीं क्षेत्र के समाजसेवी लोगों ने मदद का बीड़ा उठा लिया है। तहसील क्षेत्र के उरदौली बाजार में तिरपाल तले गुजर बसर कर रहे दिव्यांग दम्पति जीतेन्द्र व पूजा का दर्द देख मंगलबार शाम पिसावा क्षेत्र के युवा समाज सेवी अंकित अवस्थी प्रशांत दिव्यांग दंपति से मिलने पहुंचे जहां पर उनकी हालत देख मदद करने की इच्छा जताई।जिस पर दिव्यांग दम्पति ने अपनी बदनसीबी का किस्सा सुनाकर मौजूद लोगों के दिलों को झकझोर दिया। दोनों पैरों से दिव्यांग जीतेंन्द्र ने बताया कि वह मूलरूप से तहसील बिसवां ब्लाक सांडा के पिपरा मुरैना गांव का निवासी है। उसकी शादी कुछ साल पूर्व उरदौली निवासी दिव्यांग पूजा से हो गयी। कुछ दिनों तक परिजनों ने खाने पीने का बंदोबस्त किया उसके बाद घर से निकाल दिया। जिसपर पूजा अपने पति व बच्चों समेत मायके में रहने लगी भाई लोग दिल्ली में मजदूरी करते थे। कुछ माह पूर्व भाई लोग परिवार समेत दिल्ली से आकर अपने घर में रहने लगे।दिव्यांग दम्पति को घर खाली करना पड़ा। उरदौली बाजार के निकट खाली पड़ी जमीन पर तिरपाल डालकर रहने लगे। भीख मांग कर जीवन यापन करने लगे। इसी बीच उसकी कहानी अखबार की सुर्खियां बनी। जिसपर प्रशासन ने उसे ट्राई साइकिल तो मुहैया करा दी। लेकिन आवास शौचालय राशन कार्ड से हाथ खड़े कर लिए। जिस पर समाज सेवियों ने हाथ आगे बढ़ाते हुए मंगलबार को पिसावा क्षेत्र के अंकित अवस्थी प्रशांत ने दिव्यांग दम्पति को एक सप्ताह का राशन आंटा, चावल, दाल, शकर, तेल, साबुन सब्जी व सब्जी मसाला व अन्य आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराते हुए ढांढस दिलाया कि हम आगे भी मदद के लिए आते रहेंगे। जिसपर दिव्यांग दम्पति ने दुवाएं देते हुए कहा कि शासन प्रसाशन मेरी मुफलिसी पर बेपरवाह है। अब तो आप जैसे लोगों का ही सहारा बचा है।