
लगातार सुर्खियों में बने रहते है शिक्षक सत्य प्रकाश सिंह
नैमिष टुडे
अभिषेक शुक्ला
सीतापुर ।. शिक्षाविद मदनमोहन मालवीय की जयंती के अवसर पर सराहनीय सेवा देने वाले पारवती विद्या मन्दिर जू० हा० कसमण्डा के शिक्षक सत्यप्रकाश सिंह को विद्यालय प्रबंधक द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। अपने छात्रों के बीच एक अलग पहचान बनाने वाले शिक्षक सत्यप्रकाश को सोमवार को एक सादे समारोह मे प्रधानाचार्य अमरेंद्र प्रताप सिंह ने सम्मानित किया। गुरू और शिष्य के संबंधों पर शिक्षक सत्यप्रकाश सिंह का कहना है कि गुरू-शिष्य संबंध और इस संबंध की परंपरा बहुत ही पुरानी है। गुरू-शिष्य संबंध न तो रक्त संबंध हैं और न ही किसी प्रयोजन से बनाया गया सामाजिक संबंध। यह एक आध्यात्मिक संबंध है। गुरू के पास शिष्य एक विशेष ज्ञान, विशेष प्रतिभा, विशेष साधना, विशेष सर्जना, विशेष आचरण और विशेष सिद्धि के लिए जाते हैं। एक शिष्य का ‘समर्पण ही इस संबंध की आधारशिला है। गुरू-शिष्य परंपरा का पहला रूप आध्यात्मिक साधना से संबंध रखता है। आत्मज्ञान प्राप्ति के लिए सदियों से भारत में जिज्ञासु, शिष्यत्व ग्रहण करने सिद्ध गुरूओं के पास जाते रहे हैं। अपने शिष्यों के लिए मेरी कोशिश रहती है कि उन्हें एक बेहतर जीवन जीने के लिए संस्कारयुक्त शिक्षा दी जाए। मुझे खुशी है कि आज मेरे बहुत से शिष्य जीवन के सुंदर पथ पर सफर कर रहे हैं। इस मौके पर शिक्षक रवि सिंह , बिनय पाल सिंह सहित समस्त स्कूल स्टाफ मैजूद रहा।