मरे हुए गौवंशों को पानी में फेंक दिया जाता है सड़ने के लिए
नैमिष टुडे
अभिषेक शुक्ला
जिला सीतापुर विकासखंड पहला की ग्राम पंचायत मुशैदाबाद गांव के बाहर बने गौशाला में आवारा पशु आश्रय स्थल में साफ सफाई बहुत अच्छी दिख रही है। लेकिन गौशाला के अंदर कुछ हैरान करने वाला देखने को मिलता है। जिसकी शिकायत मीडिया कर्मियों से कुछ ग्रामीणों ने दिया और अपना नाम गुप्त रखने को बोला जब मीडिया कर्मी गौशाला को देखने के लिए पहुंचे। तो गौशाला की देख रेख कर रहे केयर टेकर से बात किया और गौशाला के अंदर प्रवेश किया तो वहां पर देखा कि दो-तीन गाये तड़पती हुई और उनके ऊपर कौवे बैठकर नोच नोच खाते हुए कैमरे में कैद कर लिया।और उसी गौशाले के अन्दर लगे जंगल के अन्दर पानी भरे गड्ढे में कई दिनों से मृत अवस्था में पड़े जानवर भी कैमरे में कैद किया गया ।टीन सेट के नीचे तड़पते हुए कई जानवर नजर आये जब टेकरों से डॉक्टर के बारे में जानकारी की गई तो बताया कि परमानेंट डॉक्टर आते हैं सूत्रों की माने तो अफसोस की बात यह है कि जिस हिसाब से कैमरे में आवारा पशुओ को कैद किया गया है उस हिसाब से देखा जाए तो डॉक्टर कभी कभार गौशाला का निरीक्षण करने के लिए आते हैं सूत्रों से जानकारी मिली है की प्रधान ,सचिव और डॉक्टर की मिली भगत से आवारा पशुओं की क्षमता कुछ और है और वर्तमान में उपस्थित आवारा पशुओं की संख्या कुछ और बताई जा रही है इस दबंग प्रधान के द्वारा अपनी दबंगई के आगे ग्राम पंचायत अधिकारी की भी चलने नहीं देते हैं प्रधान से जब गौशाला में बंद पशुओं की संख्या के बारे में जानकारी की गई तो प्रधान ने 312 की संख्या होने को बताया है जबकि इनके गौशाला में इनके बताने के अनुसार आवारा पशुओं की संख्या का मानक ज्यादा है और वर्तमान में इनके मानक के अनुसार संख्या कम बताई जा रही है और सूत्रों के हिसाब से जानकारी मिली है कि सीडीओ साहब का जैसे दौरा निरस्त हो गया वैसे ही पशुओं की संख्या पूरी करने के लिए अन्य ग्राम पंचायतो से रात्रि में आवारा पशुओं को माँगवाने के लिए व्यवस्था करने लगे और व्यवस्था भी हो गई अब सवाल यह उठता है कि आखिर यह जो मृत अवस्था में गड्ढे में पड़े हुए जानवर को क्या करेंगे? आखिर प्रधान और सचिव ऐसा क्यों करते हैं? इनका पोस्टमार्टम क्यों नहीं करते हैं? जबकि उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा लाखों की लागत देकर गौशाला बनवाया गया और केयर टेकर भी रखा गया बीमार जानवरों की दवाई के लिए डॉक्टर भी चुना गया जिससे गौशाला में बंद जानवरों को कोई दिक्कत ना हो सके लेकिन जमीनी स्तर पर गौशाला के अंदर कुछ और ही चल रहा है। प्रधान के द्वारा सरकार की मंशा पर पानी फेरा जा रहा है। और जानवरों की देख भाल ठीक से नहीं किया जा रहा है अब देखना है कि जिला स्तरीय अधिकारी इस गौशाला की जांच करेंगे या फिर गौशाला के अंदर यही खेल चलता रहेगा।