
मतदान प्रतिशत के लिहाज से समाजवादी पार्टी ने भले ही इस चुनाव में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है, लेकिन यह चुनाव उसके लिए कई सबक भी देकर गया है।गलतियों से सीख लेते हुए सपा को 2024 के लोक सभा चुनाव के लिए बड़ी तैयारी करनी होगी। सपा को न सिर्फ छोटे दलों के साथ गठबंधन को बनाए रखना होगा, साथ ही बसपा के बिखरे वोट बैंक में और सेंध लगानी होगी। टिकट वितरण में जो इस बार गलतियां हुईं, वह भी सपा के लिए बड़ा सबक है।
वर्ष 2012 के चुनाव में 29.13 प्रतिशत मत पाने वाली सपा की झोली में 224 सीटें आईं थीं और उसकी सरकार बन गई थी। इस बार सपा को उससे भी अधिक मत यानी 32.10 प्रतिशत मिले हैं लेकिन उसे विपक्ष में बैठना पड़ेगा। कारण भाजपा को मिले मत सपा की तुलना में करीब नौ प्रतिशत से भी अधिक हैं। भाजपा को 41.3 प्रतिशत मत मिले हैं और उसकी भाजपा की 255 सीटें आईं हैं। सपा के रणनीतिकार भी मानते हैं कि बहुजन समाज पार्टी के इतना कमजोर चुनाव लड़ने के कारण ही भाजपा को फायदा हुआ है। बसपा के कोर मतदाता भाजपा में पाले में चले गए।
सपा इस बार अपने परंपरागत वोट बैंक यादव-मुस्लिम में अति पिछड़ी जातियों व दलित मतदाताओं के कुछ वोट जोड़ने में कामयाब जरूर रही है। यह बात भी अब साफ हो गई है कि इस बार सपा को मुस्लिमों का एकतरफा वोट मिला है। इसके बावजूद भाजपा को सत्ता से हटाने में सपा कामयाब नहीं हो सकी। ऐसे में सपा के सामने अपने कोर वोट बैंक को सहेजने के साथ ही नए मतदाताओं को अपने पाले में लाना बड़ी चुनौती है। सपा के रणनीतिकार मानते हैं जब तक चुनाव में त्रिकोणीय लड़ाई थी तब तक 30 प्रतिशत के आस-पास वोट सरकार बनाने के लिए पर्याप्त होते थे, किंतु इस बार लड़ाई आमने-सामने की हो गई है। ऐसे में मत प्रतिशत बढ़ाए बगैर भाजपा को हराना सपा के लिए आसान नहीं होगा। इस चुनाव में बसपा के वोट बैंक से करीब 10 प्रतिशत मतदाता खिसक गए हैं ऐसे में सपा को नजर बसपा के बिखर चुके इसी वोट बैंक के अलावा गैर यादव पिछड़ी जातियों के मतदाताओं पर है। हालांकि इन मतदाताओं का विश्वास जीतने के लिए सपा को अभी बहुत प्रयास करने होंगे।
टिकट वितरण में बरतनी होगी सावधानीः यह चुनाव सपा के लिए बहुत बड़ा सबक है। ऐन मौके पर प्रत्याशियों के बदलने का नुकसान भी पार्टी को उठाना पड़ा। प्रदेश में करीब 40 से अधिक सीटें ऐसी थीं जिनमें पहले किसी को टिकट दिया गया और बाद में उसका टिकट काटकर दूसरे को दे दिया गया। कुछ सीटों पर तो तीन-तीन बार प्रत्याशी बदले गए। ऐसी ऊहापोह वाली सीटों पर सपा को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। इससे सीख लेकर सपा को भविष्य में टिकट वितरण के अपने तौर-तरीकों को भी सुधारना होगा।
शुरू हुई हार के कारणों की समीक्षाः सपा ने हार के कारणों की समीक्षा शुरू कर दी है। इसके लिए सबसे पहले प्रत्येक विधान सभा के प्रत्याशीवार, पार्टीवार प्रत्येक बूथ का परिणाम मंगाया गया है। प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने सभी जिला व महानगर अध्यक्षों से बूथवार परिणामों के लिए रिटर्निंग अफसर से फार्म 20 की प्रति भेजने के लिए कहा है। इसके आने के बाद पार्टी पहले अपनी कमजोरियों का पता लगाएगी इसके बाद उसे दूर करने के लिए रणनीति तैयार करेगी। सपा गठबंधन के सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि उनकी अखिलेश यादव से बातचीत हुई है, एक-एक सीट की समीक्षा की जाएगी। कहां क्यों हारे इस बारे में बहुत गहनता से मंथन किया जाएगा। इन्हीं गलतियों को भविष्य में सुधारा जाएगा।