आजादी के 77 साल बाद भी नहीं हुआ विकास , कीचड़ में निकलने को मजबूर ग्रामीण

आजादी के 77 साल बाद भी नहीं हुआ विकास , कीचड़ में निकलने को मजबूर ग्रामीण
1. हल्की सी बारिश मात्र से तालाब में तब्दील हो जाता है मुख्य संपर्क मार्ग।

नैमिष टुडे
अभिषेक शुक्ला

 

सकरन सीतापुर ग्रामीण बसावटों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए पक्की सड़क का होना सबसे महत्वपूर्ण जरूरतों में से एक है। जब किसी गांव को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सड़क बनाई जाती है तब वहां की आबादी स्वतः तरह-तरह की सेवाएं प्राप्त करने में सशक्त हो जाती है। गर्भवती महिलाएं या कोई मरीज आसानी से अस्पताल जा सकता है , बच्चे स्कूल जा सकते हैं। किसानों को उनके अनाज के अच्छे दाम मिल सकते हैं। कुटीर उद्योग से लेकर लघु व्यापार को भी बल मिलता है और यह सभी संभावनाएं किसी भी गांव में एक अदद सड़क न होने से ठहर और सहम जाती है, हालांकि सूबे की सरकार ऐसा करने के लिए कटिबद्ध है। परंतु उनके नुमाइंदों व बाबूओं की अनदेखी के कारण ब्लॉक सकरन की ग्राम पंचायत सुमरावां के अंतर्गत भैंसी गांव आज भी विकास से कोसों दूर है। 100 की आबादी वाला यह गांव आज़ादी के बाद से एक अदद सड़क के लिए तरस रहा हैं। पक्की सड़क नहीं होने के कारण लोगों को कीचड़ से होकर गुजरना पड़ता है। बच्चे हाथों में चप्पल लेकर स्कूल जाने को मजबूर हैं।
ग्रामीण मिश्री लाल भार्गव , कौशल कुमार , छविनाथ भार्गव , राजेश्वरी भार्गव , रामचंद्र , पवन आदि ने बताया कि आज भी हम लोग आदिम युग में जीने को विवश हैं, आजादी के 76 साल बाद भी हम लोगों को पक्की सड़क नसीब नहीं हो पाई है। सरकारी सुविधाओं का समुचित लाभ नहीं मिल पाया है। ग्रामीणों ने बताया कि पक्की सड़क के लिए प्रधान और विधायक तक गुहार लगाई गयी, लेकिन आज तक इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया। सड़क नहीं रहने से गांव में शादी-विवाह एवं बीमार को अस्पताल ले जाने में काफी फजीहत झेलनी पड़ती है। लोग इस गांव में संबंध नहीं करना चाहते हैं।

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