गलत हरकत करने पर चिल्लाई बच्ची तो मार डाला, मरने के बाद भी शव से किया दुष्कर्म

इस हैवानियत को क्या कहा जाए। दस साल की मासूम बच्ची तो कुछ समझती भी नहीं थी कि आरोपी की नीयत कितनी बुरी है। वह उसके साथ चली गई। आरोपी बच्ची से गलत हरकत करने लगा। जब बच्ची चिल्लाई तो दरिंदे ने गला दबाकर उसकी हत्या कर दी और यहां भी वह नहीं रुका।

 

बच्ची के शव से दुष्कर्म किया। इस दरिंदे को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है।

 

दरअसल, खातेगांव की एडीजे कोर्ट ने पहली बार किसी मामले ने आरोपी को मृत्युदंड दिया है। फैसला सुनाते हुए जज ने कहा कि ऐसी विकृत मानसिकता के व्यक्ति से समाज को बचाना जरूरी है। इसलिए इसे समाज से अलग करने के लिए ऐसी सजा जरूरी है। आरोपी का यह कृत्य उसकी निर्दयतापूर्ण कामेच्छा को प्रकट करती है। जिसने ऐसी बालिका को अपना लक्ष्य बनाया, जिसका दुनिया देखना शेष था। आरोपी ने मृत बालिका को जो पीड़ा व यंत्रणा दी है, वह कल्पना से परे है। यह हिंसा की एक पराकाष्ठा है। इस कारण अभियुक्त के साथ नरमी बरतना न्यायोचित नहीं है, बल्कि अभियुक्त से समाज को बचाने के लिए उसे समाज से अलग करना जरूरी है, क्योंकि वह समाज के लिए घातक बन चुका है। मामले की परिस्थितियों और सामाजिक परिवेश को देखते हुए वर्तमान मामला विरल से विरलतम की श्रेणी में आता है। जिसमें मृत्युदंड दिया जा सकता है, जो न्यायोचित भी है।

 

यह थी घटना

आपको बताते हैं कि आखिर मामला क्या था। 7 नवंबर 2021 को खातेगांव की बागड़ी कॉलोनी में निर्माणाधीन मकान में 10 वर्षीय बच्ची का शव संदिग्ध हालत में मिला था। बच्ची का शव देखने के बाद परिजनों ने उसके साथ दुष्कर्म की आशंका जताई थी। पहले पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज किया। दो दिन बाद दुष्कर्म व पॉक्सो की धाराएं बढ़ाई गई थीं। यह बात पता चली कि बालिका को निर्माणाधीन मकान में दोपहर में गोलू के साथ देखा गया था। इसके बाद बच्ची के पिता की रिपोर्ट पर आरोपी गोलू उर्फ नरेन्द्र पिता भेरू सितोले (24) वर्ष निवासी गांव बड़ी बरछा को गिरफ्तार किया गया। उसने अपना जुर्म स्वीकार किया। बताया कि वह बच्ची को निर्माणाधीन मकान में ले गया था, जहां उसने दुष्कर्म का प्रयास किया। जब बच्ची चिल्लाने लगी तो उसने गमछे से गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी। बाद में उसके शव के साथ दुष्कर्म किया। फिर पहचान छिपाने के लिए शव को सीमेंट की बोरी से ढंक दिया और भाग गया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर सीमेंट की खाली बोरियां जब्त की थी जिनमें खून लगा हुआ था। मृतका के सिर के बालों का रबर बैंड भी जब्त किया था।

 

फास्ट ट्रेक कोर्ट में चला था केस

इस मामले को रेयरेस्ट मानकर फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया गया। तत्कालीन खातेगांव टीआई एमएस परमार और उनकी टीम ने 24 घंटे में आरोपी को पकड़ा और 1 महीने के भीतर चालान पेश कर दिया। घटना के महज 6 महीने 12 दिन में कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए आरोपी को फांसी की सजा सुनाई। यह पहली बार है जब खातेगांव कोर्ट ने किसी आरोपी को फांसी की सजा सुनाई है। बच्ची के परिजनों ने कहा कि हमारी बेटी को न्याय मिला है।

 

पांचवींं में पढ़ती थी बच्ची

बच्ची खातेगांव के ही एक निजी विद्यालय में कक्षा पांचवीं की छात्रा थी। पिता एक होटल में कर्मचारी हैं। जिस गमछे का प्रयोग आरोपी ने हत्या के लिए किया था उसे बालिका की मां ने पहचान लिया था। बच्ची के पिता के अनुसार वह रविवार दोपहर 3 बजे घर से खाना खाकर लौटा। इसके बाद उसकी पत्नी सो गई। शाम 5 बजे जब वह जागी और उसे बेटी नहीं दिखी तो उसने अपने पति को जानकारी दी। पिता होटल से घर आए और उसे ढूंढना शुरू किया। बच्ची के घर के पास निर्माणाधीन मकान में पहले आरोपी मजदूरी करता था। आरोपी आसपास की जगह से परिचित था। आरोपी का बच्ची के घर आना-जाना था। निर्माणाधीन मकान के पास ही बच्ची का घर था। आरोपी की बच्ची पर निगाह थी। मौका मिलते ही दुष्कर्म के इरादे से बच्ची को मकान में ले गया।

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