
सीतापुर/बिसवां , नेत्रदान के क्षेत्र में सीतापुर बना रहा मिसाल, सक्षम संस्था ने करवाया 259वां नेत्रदान
अनुज कुमार जैन
समाजसेवा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रही सक्षम संस्था के प्रयासों से जनपद में नेत्रदान के प्रति लोगों में जागरूकता तेजी से बढ़ रही है। मंगलवार रात्रि को बिसवां के अमर नगर निवासी 75 वर्षीय माया गुप्ता पत्नी गिरीश चंद्र गुप्ता का निधन हो गया। उनके पुत्र पंकज गुप्ता ने तत्काल सक्षम संस्था के अध्यक्ष संदीप भरतीया से संपर्क कर नेत्रदान कराने की इच्छा जताई।
रात्रि में ही सीतापुर आंख अस्पताल की टीम जिसमें डॉक्टर मयंक ओझा, डॉक्टर शिखर, अरुणेश, पल्लवी व हरिओम शामिल रहे, बिसवां पहुंची और नेत्रदान की प्रक्रिया सफलतापूर्वक संपन्न कराई।
सक्षम अध्यक्ष संदीप भरतीया ने गुप्ता परिवार का आभार जताते हुए कहा कि “विपदा की घड़ी में भी परोपकार की भावना दिखाना अत्यंत सराहनीय है। यह परिवार समाज के लिए प्रेरणा है।”
इसी क्रम में लखीमपुर निवासी गोपीनाथ गुप्ता और बिसवां निवासी संतोष अरोड़ा का भी हाल ही में नेत्रदान कराया गया। संतोष अरोड़ा के उठाले व रस्म पगड़ी कार्यक्रम में गुरुद्वारा बिसवां में सक्षम संस्था की ओर से समाजसेविका रेनू मेहरोत्रा और अमरनाथ मेहरोत्रा ने उनके पुत्रों तुषार अरोड़ा व रॉकी अरोड़ा को सम्मान पत्र भेंट कर सम्मानित किया।
समाजसेविका रेनू मेहरोत्रा ने इस अवसर पर कहा, “एक नेत्रहीन जब अंधेरे से उजाले की ओर आता है, तो वह अनुभव अमूल्य होता है। सक्षम संस्था इसी उद्देश्य की पूर्ति में लगी है।”
संस्था के महामंत्री मुकेश अग्रवाल ने कहा, “नेत्रदान ही एकमात्र ऐसा माध्यम है जिससे हम किसी की जिंदगी में रौशनी ला सकते हैं।”
इस अवसर पर सुभाष अग्निहोत्री ने उपस्थित लोगों को नेत्रदान की प्रक्रिया व इसके महत्व से अवगत कराते हुए जागरूकता का संकल्प भी दिलाया। उन्होंने बताया कि अब न केवल सीतापुर, बल्कि आसपास के जनपदों के लोग भी नेत्रदान के प्रति जागरूक हो रहे हैं।
अध्यक्ष संदीप भरतीया ने कहा कि “मृत्यु के बाद नेत्र जलकर राख हो जाते हैं, बेहतर है कि उन्हें दान कर किसी की अंधेरी दुनिया में रोशनी भर दी जाए।”
उन्होंने बताया कि नेत्रदान की प्रक्रिया मात्र 15 मिनट की होती है और इसमें संपूर्ण नेत्र नहीं, बल्कि केवल एक झिल्ली ली जाती है।
सक्षम संस्था के सक्रिय कार्यकर्ता अक्षत अग्रवाल ने बताया कि यह संस्था द्वारा करवाया गया 259वां नेत्रदान है। लोगों में बढ़ती जागरूकता से यह स्पष्ट हो गया है कि आने वाले समय में सीतापुर नेत्रदान के क्षेत्र में एक नई पहचान स्थापित करेगा।