समाजवादी पार्टी का धरना प्रदर्शन, बंद काऊ मिल्क प्लांट को चालू करने की मांग एसडीएम को ज्ञापन देकर मांग कि। 

ऋषभ दुबे/ नैमिष टुडे 

 

कन्नौज। बड़ी संख्या में एकत्रित हुए सपा कार्यकर्ताओं ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि सपा सरकार में स्थापित इस काऊ मिल्क प्लांट को भाजपा सरकार ने जानबूझकर बंद कर दिया है। कन्नौज के उमर्दा क्षेत्र में स्थित काऊ मिल्क प्लांट को चालू करवाने के लिए समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जोरदार धरना प्रदर्शन किया।

 

अरविंद यादव और जय कुमार तिवारी ने बताया कि इस कॉऊ मिल्क प्लांट की स्थापना समाजवादी पार्टी की सरकार के कार्यकाल में हुई थी। यह प्लांट अत्याधुनिक तकनीक से लैस था और इसमें फ्रांस की आधुनिक मशीनें लगाई गई थीं। इसकी दैनिक दूध भंडारण क्षमता एक लाख लीटर थी। जब यह प्लांट चालू था, तब कन्नौज सहित आसपास के जिलों के किसान अपनी गायों का दूध यहां बेचकर लाभ कमा रहे थे।

 

प्लांट की स्थापना का उद्देश्य न केवल किसानों को एक स्थिर बाजार मुहैया कराना था, बल्कि दूध उत्पादकों को उचित मूल्य दिलाना भी था। सपा नेताओं का कहना है कि इस प्लांट ने शुरूआती दिनों में किसानों की आय को काफी हद तक बढ़ाने में मदद की थी। हालांकि, जैसे ही सत्ता परिवर्तन हुआ और और भाजपा सरकार आई, इस प्लांट को बंद कर दिया गया।

सपा कार्यकर्ताओं का आरोप है कि भाजपा सरकार ने राजनीतिक द्वेषभावना के चलते इस प्लांट पर कोई ध्यान नहीं दिया। अरविंद यादव ने कहा, “यह प्लांट किसानों के लिए एक वरदान था। लेकिन भाजपा सरकार ने सत्ता में आते ही इसे बंद कर दिया। इससे न केवल किसानों को आर्थिक नुकसान हुआ, बल्कि दूध उत्पादन में भी गिरावट आई है।”

जय कुमार तिवारी ने भी कहा कि अगर भाजपा सरकार चाहती तो इस प्लांट को आसानी से चालू कर सकती थी, लेकिन जानबूझकर इसे बंद रखा गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ग्रामीण किसानों के प्रति असंवेदनशील है और उनकी समस्याओं को अनदेखा कर रही है।

धरना प्रदर्शन के दौरान सपा नेताओं ने सरकार को स्पष्ट चेतावनी दी कि अगर एक माह के भीतर काऊ मिल्क प्लांट को चालू नहीं किया गया, तो इससे भी बड़ा आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक सांकेतिक विरोध प्रदर्शन है। अगर सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया, तो आने वाले समय में सड़कों पर बड़े स्तर पर आंदोलन होगा।

 

सपा कार्यकर्ताओं ने कहा कि उनका संघर्ष केवल राजनीतिक लाभ के लिए नहीं है, बल्कि किसानों के हितों की रक्षा के लिए है। उन्होंने यह भी कहा कि प्लांट को चालू करवाने के लिए जरूरत पड़ी तो वे न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाएंगे।

 

धरना प्रदर्शन के बाद उमर्दा क्षेत्र के किसानों में भी एक नई उम्मीद जगी है। किसानों का कहना है कि अगर प्लांट फिर से चालू होता है तो उन्हें अपने दूध का उचित मूल्य मिल सकेगा और उनके आर्थिक हालात भी सुधरेंगे।

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