
आखिर इस बार क्यों नहीं बुद्धिजीवियों व पत्रकारों को उपलब्ध कराई गई मेला बजट की कॉपी
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कैसे बन गया नगर पालिका का मेला लिपिक ।
इसके व्दारा अर्जित की गई आय से अधिक अर्जित सम्पपत्तियां लोगों में बनी चर्चा का बिषय
नैमिष टुडे/संवाददाता
मिश्रित सीतापुर / गत वर्षो की भांति परंपरागत तरीके से हर वर्ष फाल्गुन मांह के दौरान होने वाला धार्मिक 84 कोसी होली परिक्रमा जहां जोर-जोर से संचालित होता हुआ महर्षि दधीचि की पौराणिक तपोस्थली क्षेत्र के नजदीक आ रहा है । वहीं मेले की नगर पालिका परिषद मिश्रित और जिला पंचायत प्रशासन सभी व्यवस्थाओं को कथित रूप से चाक चौबंद कराते में लगा हुआ है । व्यवस्थाओं की देख रेख और संचालन का जिम्मा नगर पालिका परिषद मिश्रित उठाती चली आ रही है । वर्षों से मेला अधिकारी पद का दायित्व तहसील के उपजिलाधिकारी के पास निहित होता है । मेला सचिव पद का प्रभार नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी के पास सुरक्षित रहता है । मेला व्यवस्थाओं के क्रम में होने वाले अनेकानेक कार्यों का बजट निर्धारण प्रशासनिक देख रेख में निर्धारित किया जाता है । इस बजट की बुकलेट टाइप प्रपत्र बनवाकर मेला बैठक के दौरान क्षेत्र के बुद्धिजीवियों और पत्रकारों को उपलब्ध कराए जाने की परंपरा रही है । लेकिन अबकी बार मेला बैठकों के दौरान विभिन्न प्रकार के कार्यों पर खर्च होने वाले बजट की बुकलेट किसी को भी नहीं दी गई है । मेला लिपिक बनाए गए कनिष्ठ लिपिक राजेश कुमार से पूछने पर पत्रकारों को बताया कि मेला बजट की कॉपी अध्यक्ष के यहां रखी है । जब हमको ही नहीं मिली है तो हम आपको कैसे दें सकते है । जब कि नगरपालिका परिषद की अध्यक्ष मुन्नी देवी हैं । वह लंबे समय से नगर पालिका कार्यालय से नहीं आती है । सारा कार्य उनके प्रतिनिधि बबलू सिंह और उनके भाई प्रदीप सिंह देख रहे है । जो नगर पालिका परिषद मिश्रित के सभासद भी नहीं है । फिर उनके घर में कैसे रखी है मेला बजट की कॉपी । और पालिका विकास और प्रशासनिक कार्यों में कैसे किया जा रहा है हस्तक्षेप । आजादी के बाद से अब तक चली आ रही परंपरा के अनुसार हर वर्ष मेला बजट की कॉपी छपती और क्षेत्र के बुद्धिजीवियों और पत्रकारों में बंटती रही है । लेकिन इस बार क्यों छुपाई जा रही है । मेला बजट की कॉपी । इसके पीछे क्या है राज ? जिला प्रशासन और प्रदेश शासन को इस धार्मिक और ऐतिहासिक मेले की व्यवस्था संचालन तथा रख रखाव की दिशा में गंभीरता से जांच कराकर कार्यवाही करने की आवश्यकता है । ताकि इस पौराणिक मेला पर दुर्व्यवस्थाओं से बचा जा सके ।