
ललित यादव पर गंभीर आरोप – पंचायतों को बना दिया भ्रष्टाचार का घर,प्रशासन मौन
नैमिष टुडे/संवाददाता
लखीमपुर खीरी। विकासखंड फूलबेहड़ की ग्राम पंचायतों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें मुख्य रूप से तैनात ललित यादव की संदिग्ध भूमिका उजागर हो रही है। स्थानीय ग्रामीणों और जागरूक नागरिकों का कहना है कि यादव का लगभग हर पंचायत में भ्रष्टाचार से सीधा संबंध है। बावजूद इसके, अभी तक उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। अब सवाल उठता है कि खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) फूलबेहड़ कब तक इस गड़बड़ी पर आंखें मूंदे रहेंगे?
क्या हैं भ्रष्टाचार के आरोप?
सूत्रों के अनुसार, ललित यादव ने पंचायतों में सरकारी योजनाओं का लाभ पात्र व्यक्तियों तक पहुंचाने के बजाय, उन्हें कमीशनखोरी का जरिया बना लिया है। पंचायतों में हो रहे कार्यों में भारी अनियमितताएं देखी गई हैं, जिनमें—
1. प्रधानों और ठेकेदारों से साठगांठ – निर्माण कार्यों में मनमाने ढंग से ठेके दिए जा रहे हैं और गुणवत्ता की अनदेखी की जा रही है।
2. शौचालय और प्रधानमंत्री आवास योजना में घोटाला – अपात्र व्यक्तियों को लाभ पहुंचाया गया, जबकि असली हकदार अब भी वंचित हैं।
3. मनरेगा के फंड में हेराफेरी – मजदूरों के भुगतान में कटौती कर फर्जी बिलों के माध्यम से पैसा निकाला जा रहा है।
4. वृक्षारोपण और स्वच्छता अभियान में गड़बड़ी – कागजों पर काम पूरा दिखाकर सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया।
स्थानीय लोग उठा रहे आवाज, लेकिन प्रशासन चुप
गांव के जागरूक नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने इस भ्रष्टाचार को उजागर करने की कोशिश की, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के कारण कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। कई बार शिकायतें की गईं, लेकिन वे भी दबा दी गईं। खंड विकास अधिकारी फूलबेहड़ की चुप्पी से यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या वे भी इस भ्रष्टाचार में अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं?
क्या होगी कार्रवाई?
अगर इस मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए, तो बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार का खुलासा हो सकता है। प्रशासन को चाहिए कि—
ललित यादव की पंचायतों में तैनाती के दौरान हुए सभी कार्यों की जांच कराई जाए।
वित्तीय लेन-देन और सरकारी योजनाओं में हुए भुगतान की ऑडिट रिपोर्ट जारी की जाए।
दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और भविष्य में इस तरह की अनियमितताओं को रोका जाए।
अब कब जागेगा प्रशासन?
अगर इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो यह भ्रष्टाचार और गहरा होता जाएगा और ग्राम पंचायतों में विकास कार्य पूरी तरह ठप हो सकते हैं। अब देखना यह होगा कि खंड विकास अधिकारी कब इस गड़बड़ी पर संज्ञान लेंगे या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा?