
आवास जांच सेक्टर प्रभारी विजय श्रीवास्तव एडीओ आइएसबी के आगे नतमस्तक पात्रता आधार।
सकरन में लूटतंत्र के आगे फेल लोकतंत्र।
सकरन(सीतापुर):मुख्यमंत्री आवास योजना दिव्यांग हो या प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण हर जगह पैसों के खेल के आगे तिरपाल धारी धनाढ्यों के हकों पर काबिज पक्की छत धारी गरीब।आखिर काबिज भी क्यों न हों जब श्रीवास्तव जी को वास्तव में श्री से ही मतलब तो गरीब पात्रों के पास एडवांस में देने के लिए 10-20हजार चढ़ावा कहां से आये जिसे अपात्र धनाढ्य ही दे सकते जिसी के चलते ब्लॉक सकरन में जांच प्रभारी बनाए गए श्रीमानजी लूट लूट कर अपनी व अपने उच्च पदासीनों की भर रहे तिजोरियां।प्रकरण एकाध हो तो बात दीगर जब से नवनियुक्त बीडीओ व एडीओ सकरन आए हैं तब से एकमंजिला,बहुमंजिला पात्रों को ही आबंटित हो रहे आवास।
मुख्यमंत्री आवास हों या प्रधानमंत्री आवास हर जगह खुलकर पैसा लेकर अपात्रों को रेवड़ी की तरह बांटे जा रहे आवास।मामलों की जानकारी के लिए यदि बीडीओ सकरन का फोन भी लगाया तो कभी नहीं होगा रिसीव जिसकी सूचना मुख्य विकास अधिकारी सीतापुर को दिए जाने पर आश्वस्त किया गया कि निर्देशित किया जाएगा।पर जो शिकायतें ऑनलाइन की जातीं उनपर भी धृतराष्ट्र किस तरीके से लगाते आख्या अति अफसोसजनक, क्या नोटों की गड्डी के आगे आँखे भी हो जातीं अंधी,आखिर पात्रता व अपात्रता के जांच अधिकारी के क्या हैं मानक,कैसे मिले गरीबों को न्याय और अन्यायी सरकारी जिम्मेदारों को सजा,कैसे हो पुनः जांच,गंभीर विषय!
अरूवा अलीमुन कैसे हुई अपात्र व सांडा जैनब कैसे हुई पात्र बाकी सैकड़ों दलितों,दिव्यांगों,अल्पसंख्यक गरीब पात्रों को कैसे मिलेंगे आवास और अपात्रों द्वारा जांच सेक्टर प्रभारी के कुकृत्यों को मिलेगी सजा।