कलाकारो ने बीतीरात मीराबाई के चरित्र का मंचन किया।

 

नैमिष टुडे,

हरगांव/सीतापुर कार्तिक पूणिमा महोत्सव मेला मैदान हरगांव पर हो रही रास लीला मे मथुरा-वृंदावन से आये कलाकारो ने बीतीरात मीराबाई के चरित्र का मंचन किया। मीराबाई की शादी महाराणा सागा के पुत्र भोजराज से हुई थी। विदाई के समय मीराबाई भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति अपने मायके से साथ लेकर ससुराल पहुची कुछ समय बाद पति भोजराज की मृत्यु हो गई तत्पश्चात भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति मे मीराबाई इस कदर लीन थी कि उन्हे श्रीकृष्ण के अलावा कुछ भी समझ मे न आता था मीराबाई की श्रीकृष्ण के प्रति अटूट विश्वास और श्रद्धा थी इसलिए मीराबाई ने लोकलाज त्याग श्रीकृष्ण की भक्ति मे हर क्षण मगन रहती थी भगवान श्रीकृष्ण के विरह मे व्याकुल मीराबाई मेरा तो श्याम दूसरा न कोई, यह देख उनके देवर मीराबाई का अन्त करना चाह रहे थे इस कारण मीराबाई को देवर राणा विक्रम सिंह ने बिष भरा प्याला, पीने को दिया, व मीराबाई को काटने के लिए जहरीले साप छोडे लेकिन भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से मीराबाई सुरक्षित रही मीराबाई ने अपने जीवन मे श्रीकृष्ण की भक्ति को लेकर काफी परेशानी उठायी आखिर भगवान श्रीकृष्ण ने मीराबाई की भक्ति से प्रसन्न होकर दर्शन दिया इस कार्यक्रम को देखने के लिए चेयरमैन गफ्फार खान, पवन सिंह, सुमित, दीपेन्द्र, अनूप, राहुल, सहित नगर एव ग्रामीण क्षेत्र के काफी संख्या मे जन समूह उपस्थित था रामलीला मे आज दिन मे राजा दशरथ सन्तान न होने के कारण चिन्तित थे उन्हे श्रगि ऋषि ने पुत्रयेषिठ यज्ञ कराने को कहा जिस पर राजा दशरथ ने यज्ञ कराया व प्रसाद स्वरूप खीर, तीनो रानियो,सुमित्रा, कौशल्या, कैकयी, को खाने को दिया बाद मे चार पुत्रो, राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न ने जन्म लिया प्रभु श्रीराम के जन्म के पश्चात अयोध्या मे हर्ष छाया राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के जन्मोत्सव का मंचन देखकर श्रध्दालुगण भाव विभोर होकर जय श्रीराम के जय कारे लगाये पूरा पडाल राम मय हो गया।

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