विभागीय अधिकारियों से लेकर उच्चाधिकारियों के आगे चक्कर लगा रहा सामयिक लिपिक।
नैमिष टुडे
अभिषेक शुक्ला
जनपद सीतापुर की तहसील महमूदाबाद क्षेत्र के ग्राम पंचायत मझिगवां के निवासी बृजेश कुमार पुत्र रामरक्षा के द्वारा मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि मेरी नौकरी सामयिक लिपिक कू पद पर उत्तर प्रदेश के जनपद बाराबंकी के कार्यालय सहकारी गन्ना विकास समिति बाराबंकी में 29/12/ 1983 से 17/11/ 2011 तक लगातार कार्य किया है। इसके पश्चात वहां से मेरा ट्रांसफर मेरे गंतव्य जनपद सीतापुर में 18/11 /2021 को सामयिक लिपिक कार्यालय सहकारी गन्ना विकास समिति लिमिटेड रामगढ़ चीनी मिल में सेवा करने का अवसर दिया गया। समिति में कार्य करते काफी समय बीत गया। आपको बताते चलें कि बृजेश कुमार के द्वारा बताया गया कि मेरे ऊपर स्थानीय प्रशासन के द्वारा यह आरोप लगाते हुए 12 /5 /2020 से 24/1/ 2021 तक अभिलेख ना होने के कारण मुझे कार्य करने के लिए स्थगित कर दिया गया।और मुझे 25 /1/2021 को समिति कार्यालय रामगढ़ में पुनः कार्य भार ग्रहण करके 31/8/2022 में मेरा रिटायर्डमेन्ट हो गया।
अब सवाल यह उठता है कि बृजेश कुमार के द्वारा बगैर अभिलेख जमा किए नौकरी ज्वाइन कर ली आखिर क्यों?
अगर बृजेश कुमार ने अपने जरूरी अभिलेख स्थानीय प्रशासन आफिस में नहीं जमा किए तो नौकरी करने के लिए किसने प्रक्रिया पूरी की?
जबकि आफिस में लिपिक का पद बहुत महत्वपूर्ण होता है।
बगैर अभिलेखों के नौकरी कैसे मिल गई बृजेश कुमार को?
ऐसा तो नहीं कि स्थानीय प्रशासन के द्वारा बृजेश कुमार के पीछे कोई षड़यंत्र तो नहीं रचा गया है?
अगर षड़यंत्र नहीं रचा गया है तो बृजेश कुमार को स्थानीय प्रशासन के द्वारा रिटायरमेंट कर दिया गया मगर अभी तक बृजेश कुमार को पारिश्रमिक भत्ता क्यों नहीं दिया?यह सारे सवाल गर्भ में छुपकर जवाब मांग रहे हैं।आखिर कौन देगा इस प्रकरण का जवाब।