
आगरा , जातिवाद नहीं, राष्ट्रवाद और विकास ही है भारत का भविष्य – महामंडलेश्वर स्वामी सत्यानंद गिरि
विष्णु सिकरवार
आगरा। विश्व हिन्दू महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी सत्यानंद गिरि ने मीडिया से बातचीत में कहा कि भारत अब जातिवाद से ऊपर उठकर राष्ट्रवाद, सेवा और विकास की दिशा में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि आज देश का सामान्य नागरिक भी यह समझ चुका है कि समाज को जोड़ने वाली शक्ति जाति नहीं बल्कि विकास, विचार और सेवा है। महामंडलेश्वर स्वामी सत्यानंद गिरि ने कहा कि विश्व हिन्दू महासंघ संगठन का उद्देश्य समाज में समरसता लाना है न कि जातियों में विभाजन करना। उन्होंने स्पष्ट किया कि विश्व हिन्दू महासंघ भारत देश के उन करोड़ों लोगों की आवाज है जो जाति-पाती से ऊपर उठकर राष्ट्र और धर्म की सेवा को ही सर्वोच्च कर्तव्य मानते हैं।उन्होंने कहा कि हमारा सनातन धर्म कभी भी भेदभाव का समर्थक नहीं रहा। धर्म का मूल उद्देश्य ही है ‘सर्वे भवंतु सुखिनः’। जब तक समाज एकजुट नहीं होगा, तब तक किसी भी प्रकार का स्थायी विकास संभव नहीं। इसीलिए हम विश्व हिन्दू महासंघ संगठन के माध्यम से लगातार यह प्रयास कर रहे हैं कि सेवा संस्कार और विश्व हिन्दू महासंघ संगठन के माध्यम से लोगों को जोड़ें उन्होंने आगे कहा कि आज ज़रूरत है कि सभी संगठन, संस्थाएं और नेतृत्वकर्ता जाति की दीवारों को गिराकर केवल एक भाव से कार्य करें राष्ट्र प्रथम, सेवा सर्वोपरि। भारत की उन्नति उसी मार्ग से संभव है, जिस मार्ग पर भेदभाव नहीं, समर्पण और संवेदना हो। महामंडलेश्वर
स्वामी सत्यानंद गिरि ने उदाहरण देते हुए बताया कि जब कोई आपदा आती है या जब समाज को किसी सेवा की आवश्यकता होती है, तब कोई जाति नहीं पूछता सब मिलकर सेवा करते हैं। यही भावना यदि राजनीति, समाज और संगठनात्मक कार्यों में आ जाए तो भारत देश केवल विश्वगुरु नहीं, बल्कि मानवता का आदर्श बन जाएगा।उन्होंने यह भी कहा कि विश्व हिन्दू महासंघ का हर कार्यकर्ता उसी मार्ग पर चल रहा है जहां जाति नहीं,कर्म प्राथमिकता है। विश्व हिन्दू महासंघ संगठन देशभर में शिक्षा, गौसेवा,मंदिरों की सुरक्षा, धर्म जागरण और सामाजिक समरसता के लिए निरंतर काम कर रहा है।आखिर में उन्होंने कहा कि यदि कोई भी प्रतिनिधि, विश्व हिन्दू महासंघ संगठन या कार्यकर्ता यह सोचकर सेवा करे कि वह सबका है न कि किसी एक वर्ग विशेष का तब ही भारत एकता और समृद्धि की ओर बढ़ेगा।धर्म,राष्ट्र और समाज इन तीनों की सेवा ही हमारा संकल्प है और इसमें जातिवाद के लिए कोई स्थान नहीं है।