रूहों पर रहम जो करता है, वही खुदा का प्यारा है।’’ पंकज महाराज
नैमिष टुडे
अभिषेक शुक्ला
लहरपुर (सीतापुर) ‘‘रूहों पर रहम जो करता है, वही खुदा का प्यारा है।’’ ‘‘खिलकत है रहमान की, लाज रखो ईमान की।’’ अच्छा समाज बनाना है, शाकाहार अपनाना है।’’ तन-मन करता कौन खराब, अण्डा, मछली, मांस, शराब।’’ आदि नारों के साथ आम अवाम को, इन्सानियत व रूहानियत का पैगाम देते हुये जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था, मथुरा के अध्यक्ष एवं युग महापुरुष बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के उत्तराधिकारी पूज्य पंकज जी महाराज गत माह 24 मई से 27 दिवसीय शाकाहार-सदाचार, मद्यनिषेध, आध्यात्मिक-वैचारिक जनजागरण यात्रा लेकर चल रहे हैं। बाराबंकी जिले में सत्संग समारोह सम्पन्न करके जनपद गोरखपुर में प्रति ब्लाक में दो-दो स्थानों पर भीषण गर्मी और लू के थपेड़ों की परवाह न करते हुये कुल 40 सत्संग सभायें करके आयोध्या, लखनऊ जिले में सत्संग समारोह करते हुये कल सायंकाल सीतापुर जिले के लहरपुर तहसील के नबीनगर पधारे तो मीलों पूर्व से हजारों की संख्या में बहने, बच्चियाँ, दीप प्रज्वलित कलशों के साथ, भाई लोग फूल-माला के साथ पूज्य महाराज जी का स्वागत करने के लिये आतुर दिखे। तो आतिशबाजी व बैण्ड-बाजे की अलग धूम मची रही। रात 8 बजे काफिले का प्रवेश पड़ाव स्थल पर हो सका।
आज मध्याह्न 11.30 बजे समापन सत्संग समारोह का आयोजन हुआ। पूज्य पंकज जी ने श्रद्धालुओं को बताया कि महात्माओं के सत्संग में कभी भी किसी जाति-विरादरी या व्यक्ति विषेश की निन्दा चुगली नहीं की जाती, यहॉ तो प्रभु के भजन भक्ति की प्रेरणा दी जाती है और षौक पैदा किया जाता है। अनमोल मनुश्य षरीर परमात्मा ने सबको इसलिये दिया है कि इसमें रहकर किसी प्रभु की प्राप्ति वाले सन्त महात्मा की खोज करके अपनी आत्मा का कल्याण करा लें। सन्तों ने मनुश्य षरीर को सच्चा हरि मन्दिर बताया है। ईसा मसीह साहब ने इसे परमात्मा का जीता मन्दिर कहा है। इस कलयुग में संत सतगुरुओं ने साधना के तीन अंग बताया पहला सुमिरन, दूसरा ध्यान, तीसरा भजन। उन्होंने गृहस्थ आश्रम में रहकर प्रभु प्राप्ति की साधना के लिये ‘नामदान’ दिया तथा साधना की विधि समझाई।
महाराज जी ने प्रष्न करते हुये कहा कि क्या आपको मालूम है कि जन्म लेने से पहले आप कहॉ थे? मृत्यु के बाद आप कहॉ जायेंगे? हमारे नाते रिष्तेदार व अन्य लोग कहॉ जा रहे हैं? उनकी क्या दषा होती है? यह मानव जीवन का जटिल प्रष्न है। इस पर सभी को विचार करना चाहिये। यह सन्त सत्गुरुओं के आध्यात्मिक विज्ञान का गूढ़ रहस्य है। ये प्रष्न तब तक हल नहीं होंगे जब तक उस प्रभु की प्राप्ति वाले सन्त महात्मा नहीं मिलेंगे। पैदो होने से पहले हम सबने भगवान के भजन का वादा किया था लेकिन यहॉ आकर वादे को भूल गये और षराबों-कबाबों व ऐषो-इषरत में सुख ढूँढ़ने लगे। चरित्र पतन जैसे कार्यों को करते हुये सुख कैसे मिलेगा? इसलिए आप सब पहले इन्सान बनें, मानवतावादी बनें, निःस्वार्थ भाव से एक दूसरे की सेवा करें। महापुरुश जो दया का प्रसाद दें उसे लेकर आत्मा का कल्याण करें। बाबा पंकज महाराज ने याद कराते हुये कहा कि हमारे गुरू महाराज परम सन्त बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने आवाज लगाई कि ऐ इंसानों तुम अपने दीन ईमान पर वापस आ जाओ और इस मनुश्य मन्दिर में बैठकर प्रभु की सच्ची पूजा करो, जिस्मानी मस्जिद में बैठकर खुदा की इबादत करो ताकि तुम्हारी आत्मा, रूह दोजखों-नर्कों में जाने से बच जाय। उन्होंने ‘‘तिल भर मच्छी खाइ के, कोटि गऊ दे दान। काषी करवट ले मरै, निष्चय नरक निदान।।’’ पंक्तियों को उद्धृत करते हुये कहा कि अषुद्ध खान-पान और षराब जैसे नषों के सेवन से समाज में हिंसा-अपराध व्याप्त है।
संस्थाध्यक्ष ने आगामी 1 से 5 जुलाई तक जयगुरुदेव आश्रम, मथुरा में होने वाले गुरुपूर्णिमा पर्व पर पधारने के लिये सभी वर्ग के लोगों को सादर आमन्त्रण भी दिया। उन्होंने बताया आगरा-दिल्ली बाईपास, रोड, मथुरा में बरदानी जयगुरुदेव मन्दिर है। यहाँ एक बुराई चढ़ाने पर एक मनोकामना की पूर्ति होती है। इसी प्रकार जयगुरुदेव जन्मभूमि खितौरा जिला-इटावा में भव्य मन्दिर बना है। जहाँ सभी जाति धर्म के लोग आते हैं।
इस अवसर पर जिलाध्यक्ष गया प्रसाद यादव, मंत्री प्रदुम्न कुमार, तहसील अध्यक्ष गोपीचन्द, राम जीवन यादव, ब्लाक अध्यक्ष लालबहादुर, नगर अध्यक्ष डा. सुशील कुमार, अमर सिंह, अहिबरन यादव, मा. मुहम्मद यामीन अंसारी, मो. ईशा, सुरेन्द्र सिंह, मोती लाल मौर्य, बहोरी राठौर, सहयोगी संगत चन्दौली अध्यक्ष जसवन्त चौरसिया आदि के साथ संस्था के पदाधिकारी एवं प्रबन्ध समिति के सदस्यगण भी उपस्थित रहे।