
ट्रैफिक अधिकारियों से जांच ना करा कर किसी आईपीएस स्तर से हो जांच तो लगे अवैध वसूली पर अंकुश
पूर्व में जा चुके हैं टीएसआई से लेकर अन्य पुलिसकर्मी जेल अगला यातायात का जेल कब ?
विष्णु सिकरवार
आगरा। पुलिस के उच्च अधिकारियों के लाख आदेश होने के बावजूद भी यातायात पुलिस के द्वारा ताज का दीदार करने वाले पर्यटक वाहनों के नंबरों को देखकर यातायात पुलिस के द्वारा जमकर अवैध वसूली की जाती है। हालांकि चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे भी लगे हुए हैं मगर पुलिस के उच्च अधिकारियों के द्वारा अपने अधीनस्थों की कार्य गुजारी देखने के लिए कभी भी सीसीटीवी कैमरे की फुटेज निकाल कर नहीं देखने के कारण कार्रवाई भी नहीं हो पाती। जबकि कुछ वर्ष पूर्व यातायात पुलिस के टीएसआई से लेकर अन्य पुलिसकर्मी जेल तक की यात्रा कर चुके हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वाटर वर्क्स चौराहे पर यातायात पुलिस की ड्यूटी रहती है इस चौराहे से नो एंट्री में ट्रकों के संबंध में कई बार खबरें प्रकाशित होती रहती हैं नो एंट्री में ट्रक निकलने के नाम पर 500 रुपए लिए जाते हैं।
सूत्रों द्वारा बताया जाता है नो एंट्री में ट्रकों के निकलने के अलावा अब ताज का दीदार करने वाले पर्यटक वाहनों के नंबरों को देखकर रोक दिया जाता है और चेकिंग के नाम पर सौदेबाजी की जाती है। वाहन संख्या यूपी 24 एबी 3873 को रोक कर वाहन में कमी बात कर सौदेबाजी करके निपटा दिया गया जबकि यूपी 75 एबी 7608 के वाहन स्वामी से सौदेबाजी ना होने के कारण 2000 का चालान कर दिया गया। बताया जाता है कि इस वाहन स्वामी के द्वारा सिफारिश का हवाला दिया गया था इसलिए इसका चालान कर दिया गया। जबकि एक अन्य गाड़ी यूपी 82 एपी 5163 के वाहन स्वामी से सौदेबाजी करके निपटा दिया गया जबकि इस गाड़ी पर पूर्व में भी दो चालान बताए जाते हैं।
यह मात्र केवल एक उदाहरण है वॉटर वर्क्स चौराहे के अलावा अन्य चौराहा पर भी यही हाल है। चाहे वह ताजमहल क्षेत्र मैं आने वाले चौराहे हो या जमुना किनारा आदि रोड हों कहीं भी यातायात पुलिस को वाहन चेकिंग की आड़ में एक सूत्री कार्यक्रम करते हुए देखा जा सकता है।
वहीं दूसरी और सूत्र बताते हैं रामबाग से वाटर वर्क्स आने वाले सर्विस रोड पर ट्रैफिक के एक दरोगा जी वह अन्य पुलिसकर्मी लगे रहते हैं जिनको ड्यूटी इसलिए यहां लगाई गई है कि सर्विस रोड व हाईवे पर रोडवेज बसों वह टेंपो चालकों के द्वारा जाम की स्थिति न बन पाए। मगर वह अपनी दोनों जिम्मेदारियां को भूलकर केवल एक सूत्री कार्यक्रम में लगे रहते हैं उनके द्वारा भी टेंपो चालकों के वह बस चालकों के द्वारा जाम लगने पर कोई प्रभावशाली ना कार्रवाई करते हुए बाहर की गाड़ियों पर नजर बनाए रहते हैं।
ट्रैफिक सूत्र बताते हैं यातायात माह चल रहा है चालान व जुर्माना अधिक करना है मगर चेकिंग के नाम पर सरकार का राजस्व बढ़ाने के स्थान पर चैकिंग करता अपना राजस्व बढ़ता है और संघ में चलने वाले अन्य पुलिस कर्मियों को 40% हिस्सा देकर 60% अपनी जेब में रख लेता है। यदि उच्च स्तरीय जांच पुलिस अधिकारियों के द्वारा की जाए तो बहुत कुछ दिख सकता है।
हालांकि सोशल मीडिया पर भी कुछ चौराहों की खबरें नो एंट्री मैं ट्रकों निकालने संबंधी वह बाहर के नंबर की गाड़ियों से वसूली संबंधी खबरें सोशल मीडिया पर भी समय-समय पर वायरल होती रहती हैं।
देखने वाली बात ही होगी आखिर पुलिस के अधिकारियों के द्वारा कब चौराहों पर लगे सीसीटीवी कैमरे की रिकॉर्डिंग निकाल कर अपने अधीनस्थों की कार्य गुजरी देखते हैं और कब प्रभावशाली कार्रवाई करते हुए निलंबित अथवा जेल की कार्रवाई को अमल में लाते हैं या तो आने वाला समय बताएगा।